पटनाःदिवंगत रामविलास पासवान के द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी में एक बार फिर राजनैतिक संघर्ष होने (Political Tussle In LJP Over Hajipur Seat) की प्रबल संभावना है. बिहार का हाजीपुर लोकसभा सीट जहां से खुद रामविलास पासवान सांसद रहा करते थे. बाद में उन्होंने अपने छोटे भाई पशुपति कुमार पारस (Pashupati Paras and Chirag Paswan) को इस सीट की विरासत सौंप दी. आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में लड़ाई इसी विरासत की है, क्योंकि रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान जमुई की जगह इसी सीट से चुनाव लड़ने (Chirag Paswan will contest Lok Sabha elections from Hajipur) का पूरा मन बना चुके हैं.
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पिछले कई महीनों में यह देखा भी गया है कि चिराग ने अपने आप को हाजीपुर में केन्द्रित रखा है. वह सीट जिसका प्रतिनिधित्व उनके पिता ने आठ बार किया था. अब किसी भी कीमत पर चिराग उसे अपने बागी चाचा को सौंपना नहीं चाहते हैं. अब चिराग भी मानते हैं कि हाजीपुर सीट को अपने चाचा को दिया जाना एक बड़ी गलती थी.
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बिहार में आपदाओं के वक्त इन दिनों लोगों के बीच नजर आ रहे हैं. कुछ दिनों पहले हाजीपुर में आयोजित मिलन समारोह से भी यह संदेश साफ है कि चिराग इस सीट पर ही अपना दावा करेंगे. हालांकि, इसके पहले भी यह संदेश दिया जा चुका था जब पार्टी में टूट के बाद अलग-थलग पड़े चिराग ने अपने पिता की 'कर्मभूमि' हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की थी.
लोजपा आर के प्रवक्ता चंदन सिंह ने चिराग का पक्ष रखते हुए कहा कि पशुपति पारस को हाजीपुर से चुनाव लड़वाना हमारी भूल थी. पारस से क्षेत्र की जनता नाखुश है और यह देखा भी जा चुका है. जब लोजपा में टूट करने के बाद पारस भी अपने क्षेत्र गए थे तब उनपर स्याही और कालिख फेंका गया था. काले झंडे दिखाए गए थे. कई दफा सांसद लापता के पोस्टर लगाकर भी विरोध जताया था. आलम ये कि अपनी समस्याओं को लेकर लोगों को सांसद के पास दिल्ली जाना पड़ता है.
चंदन सिंह कहते हैं कि चिराग पासवान के द्वारा उनके संसदीय क्षेत्र में किए गए कार्यों की सराहना देश के प्रधानमंत्री ने की है. जबकि पारस गुट के लोग कहते हैं कि जमुई की जनता ने चिराग को नकार दिया है, इसलिए वो जमुई के जगह हाजीपुर का रुख कर रहे हैं जो बेबुनियाद है.
इधर, पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता ललन चंद्रवंशी ने ईटीवी भारत से टेलिफोनिक बातचीत के दौरान बताया कि चिराग पासवान जमुई से चुनाव ना लड़कर हाजीपुर से इसलि चुनाव लड़ना चाह रहे हैं क्योंकि उन्हें सेफ जोन की तलाश है. शुरू से ही हाजीपुर की सीट लोजपा के लिए सेफ जोन माना जाता रहा है. यही कारण है कि चिराग अपनी पिता की विरासत वाली सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं. जबकि रामविलास पासवान ने खुद अपनी विरासत की सीट अपने छोटे भाई पशुपति पारस को सौंपकर चुनाव लड़वाया था.