पटना:होली का त्योहार खत्म होते ही पेट्रोल और डीजल (Petrol Diesel Price) के साथ घरेलू सिलेंडर भी 50 रुपये महंगे हो गए हैं. इससे लोगों के खाने की थाली भी महंगी हो रही है. अब सरसों का तेल और रिफाइंड के साथ खाद्य पदार्थ महंगा होने लगा है. फल और सब्जियों से लेकर रोजमर्रा की सभी चीजों के दाम लगातार बढ़ने से लोगों का बजट बिगड़ रहा है. मध्यमवर्गीय परिवार को घर चलाना मुश्किल होता जा रहा है. हाल ही में 5 दिनों के अंदर पेट्रोल और डीजल के दाम में तीन बार वृद्धि हो चुकी है, जिसके बाद ट्रांसपोर्ट भाड़ा भी बढ़ गया है. व्यापारियों का मानना है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से खाद्य पदार्थों के दामों में अभी और भी वृद्धि होने की संभावना है.
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''रोजमर्रा की चीजें महंगी होने से आमजन की कमर टूट रही है. ऊपर से रसोई गैस सिलेंडर के बढ़े दामों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया. पहले जहां घर 5 से 7 हजार में चल पाता था, अब 12 से 15 हजार में घर चलाना भी मुश्किल होता जा रहा है. कमाई सीमित है और महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. उनका कहना है कि सिलेंडर के दाम बढ़ते जा रहे हैं और सब्सिडी खत्म होती जा रही है. ऐसे में लोगों पर बोझ बढ़ता जा रहा है.''-सविता देवी, गृहणी
महंगाई ने बिगाड़ा लोगों का बजट: बता दें कि मार्च महीने में प्याज, दाल और मसाला नमकीन खाने के तेल की बढ़ी कीमतों ने भी लोगों का बजट बिगाड़ा है. जैसे कि नासिक से एक ट्रक प्याज पटना पहुंचने में पहले ₹1,00,000 लगते थे, जो अब सीधे डेढ़ लाख हो गया है. इसका असर बाजारों पर पड़ रहा है. व्यापारियों का मानना है कि प्याज के दामों में बढ़ोतरी नहीं हुई है, क्योंकि किसानों की फसल निकलने लगी है, लेकिन गाड़ी भाड़ा बढ़ेगा तो निश्चित तौर पर प्याज के दाम बढ़ाकर बेचा जाएगा. सब्जी मंडी में प्याज ₹25 किलो बिक रहा है. पिछले कुछ सप्ताह के बाद प्याज के दाम और बढ़ सकता है. इसका एकमात्र कारण पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ना है.
''जिन सामान के दाम अभी कम होने चाहिए थे, उसमे भी वृद्धि हो रही है. तेल, रिफाइंड, चीनी, दाल, मसाला यहां तक कि हल्दीराम और बीकानेर के भुजिया नमकीन पर भी वृद्धि हो गया है. काजू पिस्ता से लेकर तमाम सामान के ऊपर वृद्धि हुआ है. जिसका एकमात्र कारण पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि होना है. गाड़ी भाड़ा में वृद्धि किया जा रहा है और इसी का नतीजा है कि लोगों पर इसका असर पड़ रहा है. व्यापारियों को अधिक पैसा लगाकर मंगाना पड़ रहा है.''-सुनील कुमार, किराना दुकानदार