पटना: राजधानी पटना के राजीव नगर के नेपाली नगर इलाके में बीते रविवार आवास बोर्ड की जमीन पर बने मकानों पर हुए बुलडोजर के कार्रवाई के (Campaign To Remove Encroachment In Nepali Nagar) बाद इलाके में लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि जिन मकानों पर बुलडोजर की कार्रवाई हुई है उनके मलबे को हटाया नहीं जाएगा और इलाके में बिजली, पानी बहाल किया जाए. जिसके बाद से जिनके मकान ध्वस्त हुए, वह अब अपने मकान के स्थान पर आकर निगरानी कर रहे हैं ताकि मकान के बचे हुए जो सामान है वह गायब ना हों. लोग फिर से मकान की टूटे हुए हिस्से में आकर रहने लगे हैं. क्योंकि लोगों के पास रहने की वैकल्पिक व्यवस्था मौजूद नहीं है.
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टूटे हुए मकानों की निगरानी कर रहे हैं लोग :जिन मकानों के गेट बुलडोजर से कबाड़ लिए गए थे वहां अब लोग पर्दे डालकर महिलाओं और बेटियों के साथ दिन-रात काट रहे है. कई परिवार में बुजुर्ग और महिलाएं तो अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं और उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि एक-एक पैसा जोड़कर जिस मकान को बनाया वह अब ध्वस्त हो चुका है. लोगों की शिकायत भी है कि पहले दिन बुलडोजर की कार्रवाई के बाद जब वह इलाका छोड़कर रात में चले गए थे तो मकान के लगभग पूरे सामान को चोरों ने चुरा लिया. कई लोगों के दो हिस्सों में बने गेट का एक हिस्सा चोर उठा ले गए तो कई लोगों के घर का एसी, नल, किचन का सामान, लाइट, बल्ब इत्यादि उपकरण चोरी कर कर चले गए. इलाके में रहने वाले लोगों के बच्चों की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित हो गई है, क्योंकि बुलडोजर की कार्रवाई इतना औचक हुआ कि जरूरी सामान निकाल कर ले जाने और जान बचाकर निकलने के चक्कर में लोग किताब कॉपी भूल गए और बुलडोजर की कार्रवाई में बच्चों की किताबें मकान के मलबे में दब गए. अब बच्चे स्कूल जाना छोड़ दिए हैं. वहीं जो बड़े बच्चे हैं, कंपटीशन की परीक्षा की तैयारी करते थे, वह अब इस चिंता में है कि पहले रहने खाने की व्यवस्था करें कि, अब पढ़ाई के बारे में सोचें.
'कोर्ट ने आदेश दिया कि मलबे हटाए नहीं जाएंगे जिसके बाद वह मलबे की निगरानी करने पहुंचे हुए हैं. क्योंकि बुलडोजर कार्रवाई के बाद रविवार को जब वह मकान छोड़कर चले गए तब मकान का बचा-खुचा खिड़की, दरवाजा, लाइट, किचन का नल इत्यादि सामान चोरों ने चोरी करके चले गए थे. लगभग 35 लाख रुपया खर्च करके यह मकान बनवाया था और घर प्रवेश के बाद महज 1 महीना 8 दिन हुआ था, कि प्रशासन द्वारा बुलडोजर की कार्रवाई कर दी गई. जबकि उनके पास कोई भी नोटिस पहले से नहीं आया हुआ था. बच्चों के स्कूल, ड्रेस, किताबें इत्यादि सब मलबे में दब गए हैं. जिसके बाद बच्चों को अपने पैतृक गांव भेज दिया है. क्योंकि यहां रहने का भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. वह अपने दो भाई के साथ इस मकान में रहते थे और स्कूल में पढ़ाई करने वाले कोई चार बच्चे थे जिनकी पढ़ाई पूरी तरह से चौपट हो गई है.'- राजीव प्रताप सिंह, स्थनीय
टूटे हुए मकानों के लोगों के अरमान भी टूटे :एक और युवक भोला कुमार जो अपने मकान की निगरानी कर रहे थे, उन्होंने बताया कि प्रशासन की कार्रवाई के बाद वह ना घर के रहे हैं ना घाट के रहे हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वह फरियाद किससे करें क्योंकि सरकार ने ही उन लोगों पर यह क्रूर कार्रवाई किया है. उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी यहां इलाके में बिजली और पानी मुहैया नहीं कराई गई है. पानी के जो मोटर लगे हुए थे, सबको चोरों ने चोरी करके लेकर चले गए हैं. जिसके बाद प्रशासन को कम से कम चाहिए था कि जिस प्रकार भीषण गर्मी पड़ रही है, कम से कम जल आपूर्ति विभाग से पानी का टैंकर इलाके में उपलब्ध करवा दें. लेकिन यह भी प्रशासन की तरफ से नहीं हो रहा है.
HC के आदेश के बावजूद पानी, बिजली नहीं है उपलब्ध :अपने ध्वस्त हो चुके मकान के बचे हुए हिस्से मैं बैठकर रोती हुई महिला गजमोती देवी ने बताया कि उनका कोई गांव में भी जमीन नहीं है और ना ही किसी शहर में जमीन है. उनकी पति दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और वह भी लोगों के घरों में बर्तन धोने का काम करती हैं. गांव का जमीन बेचकर और एक-एक पैसा इकट्ठा करके जमीन लिया था, 10 साल से यहां रह रही थी. अब सब कुछ बर्बाद हो गया है. पैसा भी नहीं है उनके पास कि वह कहीं और जाकर किराए में रहे. घर में छोटा लड़का पढ़ने का काम करता है और बड़ा बेटा लोगों के घरों में सुबह-सुबह अखबार बांटता है. ऐसे में अब वह यहीं पर टूटे हुए हिस्से में तिरपाल टांग कर रह रही हैं और अब उन्हें कुछ नहीं समझ में आ रहा है कि वह कहां जाएंगी और उनका क्या होगा. बस उन्हें इतना समझ में आ रहा है कि उनका पूरा परिवार इस बुलडोजर के कार्रवाई के बाद बर्बाद हो गया है. घर में बहू है लेकिन अपने घर में दरवाजा बचा हुआ है ना घर की छत है. तिरपाल बांधकर गुजर-बसर हो रहा है. ना पानी मिल रहा है ना खाने की कोई व्यवस्था, सब कुछ खत्म हो गया है.
मकानो के टूटने के साथ ही लोगों के दिल भी टूटे :अपने टूटे हुए मकान के बचे हुए हिस्सों की निगरानी कर रहे उपेंद्र कुमार ने बताया कि वह अपने रिटायरमेंट के पैसे से मकान को बनवाए थे और बीते 8 वर्षों से यहां रह रहे थे. लेकिन मकान का जो बचा कुचा सामान था, वह चोरी हो गया. मकान पूरा ध्वस्त हो गया है और अब वह पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं. उन्हें अब कुछ समझ में नहीं आ रहा. उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार को पैतृक गांव भेज दिए हैं और बड़ा बेटा B.Ed की तैयारी कर रहा था. जिसका हाल ही में उसने गांव से पटना आकर परीक्षा दिया है. बच्चों के किताबें पलंग और घर के काफी सारे सामान मकान के मलबे में दब गए हैं. पीने के पानी की भी यहां कोई व्यवस्था नहीं है और पानी के लिए दरबदर भटकना पड़ रहा है.