पटना: वैश्विक महामारी कोविड-19 के इलाज के लिए एक तरफ एलोपैथ में कई दवाओं का ट्रायल जारी है. दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय के जरिए लोगों को आयुर्वेद पर भरोसा रखने और इसके जरिए संक्रमण रोकने के लिए प्रोत्साहित किया है. बिहार में आयुष चिकित्सा पर भरोसा रखने वाले लोगों के लिए महज 2 अस्पताल काम कर रहे हैं.
आयुर्वेद अपनाने की सलाह
प्रधानमंत्री ने कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए देश के लोगों को आयुर्वेद अपनाने की सलाह दी थी. पीएम मोदी ने लोगों को आयुष मंत्रालय के अधीन अस्पतालों में जाने की अपील की और वहां के बने विशेष काढ़े के इस्तेमाल के लिए भी लोगों को सलाह दी गई.
पटना का राजकीय आयुर्वेद अस्पताल प्रमुख
बिहार में पांच ऐसे आयुर्वेद कॉलेज थे लेकिन, आज के दिन सिर्फ दो ऐसे आयुष अस्पताल संचालित हो रहे हैं. इनमें प्रमुख रूप से पटना का राजकीय आयुर्वेद अस्पताल है. इसके अलावा एक और अस्पताल बेगूसराय में चल रहा है. लेकिन इनडोर और आउटडोर पेशेंट देखने की व्यवस्था सिर्फ पटना के राजकीय आयुर्वेद अस्पताल में है.
थर्मल स्क्रीनिंग के बाद एंट्री 'सीमित संसाधनों की वजह से आ रही परेशानी'
अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि प्रधानमंत्री की सलाह के बाद लोगों ने इसे गंभीरता से लेते हुए बड़ी संख्या में अस्पताल आना शुरू किया है. अस्पताल की ओर से ये कोशिश की जा रही है कि सभी तरह की दवाएं और केंद्र सरकार की ओर से दी गई गाइडलाइंस के मुताबिक काढ़ा लोगों को उपलब्ध कराया जाए. लेकिन सीमित संसाधनों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है.
आयुर्वेद से बढ़ी उम्मीद और भरोसा
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य ने कहा कि आज के दिन जब कोरोना महामारी के लिए एलोपैथ में कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, तो लोग इससे बचाव के लिए आयुर्वेद की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं मरीजों ने भी कहा कि आयुर्वेद पर उनका भरोसा बढ़ा है. मरीजों का कहना है कि उनका विश्वास पहले से ही रहा है और वे चाहते हैं कि अस्पताल में ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध हों ताकि वह एलोपैथ की जगह ज्यादा से ज्यादा आयुर्वेद की दवाइयों का इस्तेमाल कर सकें.
हर तरह के मर्ज के पहुंचते हैं मरीज
अस्पताल की ओपीडी में मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर प्रभात द्विवेदी ने बताया कि यहां हर तरह के मर्ज के लिए मरीज आते हैं. विशेष रुप से त्वचा की समस्या, लकवा और अन्य बीमारियों से संबंधित मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं.