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बांस की टाट से कटाव रोक रहा पटना नगर निगम, जुगाड़ देख हर कोई दंग

एक ओर जहां पटना का दगर निगम एस बार पटना में जलजमाव नहीं होने की बात कह रहा है तो वहीं दूसरी ओर यहा नगर निगम सैदपुर नाले की साइड वॉल बनाने में असमर्थ है. निगम बांस का टाट और बालू भरी बोरियों के जरिए नाले से सड़क पर हो रहे कटाव को रोकने में लगा है...

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इंद्रदीप चंद्रवंशी , नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य

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Published : Jun 17, 2021, 7:48 PM IST

पटनाःबिहार के डीप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद(Dy CM Tarkishore Prasad) आज राजधानी पटना में जलजमाव(Water Logging in Patna) की समस्या से निपटने को लेकर किए जा रहे कामों का मुआयना करने पहुंचे थे. डीप्टी सीएम ने नगर-निगम के कामों को लेकर संतोष जताया. लेकिन वहीं इसी जगह से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पटना के बड़े नालों में से एक सैदपुर नाला (Saidpur Nala) भी है. जिसे देखने अगर डीप्टी सीएम जाते तो शायद निगम के दावों की पोल खुल जाती. नाले की तस्वीरों में दिख रही बांस की टाट की दीवार पटना नगर- निगम के दावों की हकीकत बयां कर रही है.

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2019 के जलजमाव में पानी में समा गयी थी साइडवाल
सैदपुर का नाला पटना के प्रमुख 9 बड़े नालों में से एक है. 2019 में जब तीन दिन की बारिश के बाद जलजमाव हुआ था दो ये पूरा इलाका भी जलजमाव से त्रस्त रहा था. जलजमाव की वजह से सैदपुर नाले में पानी का प्रेशर ज्यादा था, जिसके कारण इसके एक साइड की दीवार टूट कर पानी में समा गई.

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जलजमाव के बाद सरकार ने पटना में ऐसी स्थिति से निपटने को लेकर तैयारी करने का वादा किया था. जिसके तहत जल्द ही सैदपुर नहर की साइड दीवार (Side Wall of Saidpur Nala) के मरम्मत कराने की बात कही गई. लेकिन दो साल बीतने के बाद भी सैदपुर नाले की साइड वॉल नहीं बनी.

कटाव को रोकने के लिए लगायी गई टाट की दीवाल
नई दीवार नहीं बनने और पिछले साल बरसात के मौसम में हुई बारिश के कारण नाले के पानी की तेज रफ्तार से सड़क पर हो रहे कटाव को रोकने के लिए निगम प्रशासन ने एक तरफ से आनन-फानन में वैकल्पिक व्यवस्था (Alternative Arrangement) कर दी. इसके तहत बांस की टाट और बालू की बोरी के सहारे कटाव रोकने के लिए एक अस्थाई दीवाल बनाई गई.

हालांकि पक्के साइड वॉल के निर्माण की घोषणा भी हुई. लेकिन अभी तक उसपर काम नहीं हो सका है. स्थानीय विधायक अरुण सिन्हा, नगर निगम के स्टडी कमेटी के सदस्य आशीष सिन्हा और इंद्रदीप चंद्रवंशी ने सैदपुर नाले का मामला उठाया हैं. लेकिन आलम ये है कि अधिकारी आते हैं और सिर्फ नाले का निरीक्षण करके चले जाते हैं.

इंद्रदीप चंद्रवंशी , नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य

मानसून की बारिश से बढ़ा खतरा
एक और जहां निगम की और से नाले की सफाई कराकर वाहवाही लूटने का काम हो रहा है, तो वहीं सैदपुर नाले के आसपास रहनेवाले लोग मानसून के सक्रिय होने के बाद से हो रही बारिश को लेकर चिंता में हैं. उनके मन में 2019 के जलजमाव की तस्वीरें कौंध रही हैं. इस बार भी सैदपुर नहर के साइड दीवार को दुरुस्त नहीं किया जा सका. ऐसे में लोगों को डर है कि सैदपुर रोड पर कटाव होगा.

साथ ही अगर तेज बारिश हुई तो आसपास के मकानों पर भी कटाव का असर पड़ सकता है. बांस की चचेरी और बालू की बोरी के सहारे पानी के तेज धार से कटाव ना हो, इसके लिए निगम प्रशासन लगा हुआ है. लेकिन यह तरकीब राम भरोसे ही है.

इस्टीमेंट को नहीं मिली मंजूरी
नाले की साइड वॉल के नहीं बनने को लेकर वार्ड पार्षद कहते हैं कि दीवाल के लिए इस्टीमेंट सरकार को भेजा गया है. लेकिन अब तक सरकार की ओर से इसे मंजूरी नहीं दी गई है, अधिकारी सिर्फ निरीक्षण करने आते हैं, घोषणा करके यहां से चले जाते हैं. स्थिति अभी भी जस की तस बनी हुई है.

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निगम के पास नहीं है पैसा, सरकार के पास है
वहीं नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी इसे लेकर बताते हैं कि सरकारी उदासीनता की वजह से आज तक सैदपुर नहर की साइड दीवार की मरम्मत का काम नहीं हुआ.

"2019 मे जिस तरह से जलजमाव हुई थी, उस जलजमाव से भी सरकार ने सबक नहीं लिया. अब तक सरकार सोई हुई है. सैदपुर नहर के साइड कटाव को रोकने के लिए सरकार के तरफ से अभी तक कुछ किया नहीं जा सका. हम सरकार की एक छोटी इकाई हैं. हमारी हैसियत नहीं कि हम इस नाले के साइड वॉल की मरम्मत करवा सकें. क्योंकि नगर निगम के पास उतना बजट भी नहीं है."इंद्रदीप चंद्रवंशी , नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य

वे कहते हैं कि बिहार सरकार इसे बनवा सकती है. उसे इसके बारे में सोचना चाहिए था. लेकिन सरकार ने अब तक इस नहर के बारे में कोई विचार नहीं किया है. इंद्रदीप चंद्रवंशी ने बताया कि साइड दीवार नहीं होने के कारण कुछ दिन पहले एक छोटे से बच्चे की मौत इस नाले में डूबने के कारण हुई है.

20 फीट से बढ़कर 35 फीट हुई नाले की चौड़ाई
स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी बताते हैं कि इस मामले को लेकर नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर से भी शिकायत की गई थी. उन्होने खुद यहां आकर पूरे कटाव को देखा था. उन्होंने आश्वासन के बाद भी सरकार ने साइड दीवाल का निर्माण करवाया. उन्होंने कहा कि जिला अधिकारी भी इस कटाव को देखने के लिए आए थे. लेकिन वह भी आज तक कुछ नहीं कर पाए.

इंद्रदीप चंद्रवंशी ने बताते हैं कि पहले इस नाले की चौड़ाई 20 फीट की थी. लेकिन 2 सालों में कटाव होते-होते इसकी चौड़ाई 35 फीट हो गई है. यानी आप खुद समझ सकते हैं कि कितनी तेजी गति से इस इलाके में इस नाले की वजह से कटाव हो रहा है.

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