पटना: फर्श से अर्श तक पहुंचने की कई कहानियां आपने देखी और सुनी होंगी लेकिन पटना की ज्योति की कहानी उनसे बिल्कुल अलग है. देश में लड़कियों के लिए एक मिसाल है क्योंकि ज्योति ने जब होश संभाला तो वह बेसहारा थी. पटना जंक्शन पर भीख (Begging at Patna Junction) मांगकर गुजारा करती थी. प्लास्टिक के बोतल चुनकर एक वक्त के भोजन का जुगाड़ करती थी लेकिन उसके आत्मविश्वास का ही परिणाम है कि उसने शिक्षा ग्रहण की और अब एक कैफेटेरिया का संचालन (Patna Jyoti became example of self reliance) करती है.
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में ज्योति ने बताया कि शुरुआती दिनों में वह पटना जंक्शन पर रहती थी. 1 साल की उम्र में उसे पटना जंक्शन पर लावारिस छोड़ दिया गया था. वहां दातुन बेचने वाली कारी देवी ने उसे गोद लिया और पाला. ज्योति ने बताया कि उन्हें यह भी नहीं पता कि उनके माता-पिता कौन हैं, उनकी जाति और धर्म क्या है. 2 साल बाद बुजुर्ग महिला कारी देवी का निधन हो गया. उसके बाद ज्योति का जिम्मा बुजुर्ग महिला के भाई राजदेव पासवान ने उठाया. ज्योति उन्हें पापा कहकर पुकारने लगी.
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ज्योति ने बताया कि जब उन्हें होश आया तब वह भीख मांगती थी. कूड़ा, कचरा और प्लास्टिक की बोतले चुनना उनका काम था. कूड़ा-कचरा चुनने के दौरान काफी दूर निकल जाया करती थी. रहने-सोने को फुटपाथ था. बरसात के दिनों में कष्ट बढ़ जाता था. पटना जंक्शन पर कहीं कोने में जगह जहां मिल जाता, वहीं दुबककर रात गुजार लेती थी. इस दौरान कई बार उन्हें काफी तकलीफ होती थी क्योंकि पुलिसकर्मी उन्हें स्टेशन परिसर में देख कर भगा दिया करते थे.
रात में सोने नहीं देते थे. सोने के लिए घर नहीं होने की वजह से ठंड के मौसम में कष्ट काफी होता था. प्लास्टिक और जूट के बोरे के अंदर घुसकर ठंड से बचने के लिए सो जाया करती थी. 10 साल की उम्र तक उनका जीवन इसी प्रकार चलता रहा. ज्योति ने बताया कि जब वह 10 साल की थी तो 1 दिन सर्वे के लिए नीलू जी पहुंचीं जो रेनबो फाउंडेशन से जुड़ी थीं. वह एक सर्वे के तहत पहुंची थी.
उन्होंने उसके साथ कई बच्चियों का सर्वे किया. ज्योति ने बताया कि इस दौरान स्टेशन पर, फुटपाथ किनारे रहने वाले लोगों से उनके बारे में नीलू जी ने पूछताछ शुरू की. जहां लोगों ने उनके बारे में बताया कि वह किस प्रकार लावारिस हालत में मिली थी. इसके बाद सभी ने उनके बारे में जितना कुछ जानते थे, सभी जानकारियां दीं. इसके बाद नीलू जी ने जानकारी दी कि वह एक रेनबो होम संस्था से जुड़ी हुई हैं जहां इसी प्रकार की बच्चियों को रखा जाता है.
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