पटना: गैर जिम्मेदाराना तरीके से विभागीय कार्रवाई संचालित (Departmental Action) करने के मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि या तो ऐसी गैर जिम्मेदाराना करतूत जान-बूझकर की जाती है या कार्रवाई संचालित करने वाले अफसर खुद अयोग्य होते हैं.
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ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें पटना हाईकोर्ट ने स्टेट ड्रग कंट्रोलर को 2 नवंबर 2021 तक कोर्ट में हाज़िर होने का निर्देश दिया है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने विकास शिरोमणि की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टेट ड्रैग कंट्रोलर रबिन्द्र कुमार को याचिकाकर्ता के खिलाफ हुई विभागीय कार्रवाई की संचिका समेत कोर्ट में हाज़िर होने का निर्देश दिया है.
याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को विभागीय जांच रिपोर्ट भी आधी अधूरी ही सौंपी गई थी. जिन आरोपों के मद्देनजर विभागीय कार्रवाई संचालित हुई वे आरोप भी अस्पष्ट और आधे अधूरे ढंग से मढ़े हुए थे.
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हाईकोर्ट ने आरोप की अस्पष्टता को खुद देखते हुए आरोप लिखने वाले अफसर को तलब किया. स्वास्थ्य विभाग से आये अवर सचिव स्तर के उक्त अधिकारी के आने के बाद उसे कोर्ट रूम में उन आरोपों को जोर से पढ़ने के लिए कहा गया. एक-एक आरोप को पढ़ने के बाद कोर्ट जब उस अधिकारी से पूछता जा रहा था कि वे कुछ समझे या नहीं? उत्तर में अधिकारी का जवाब न में ही मिलता रहा, तब कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए ड्रग कंट्रोलर को तलब किया. मामले पर अगली सुनवाई 2 नवम्बर को होगी.