पटना: बिहार में कोरोना की तीसरी लहर(Third Wave of Corona in Bihar) में काफी संख्या में ऐसे लोग संक्रमित हुए हैं, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ली हुई है. राजधानी पटना की बात करें तो यहां संक्रमण की तीसरे लहर में 60 फीसदी से अधिक ऐसे संक्रमित मिले, जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज ली हुई थी और इनमें से आधे से अधिक यानी कि लगभग 7000 के करीब ऐसे संक्रमित मिले, जिनका सेकेंड डोज का टीका लिए हुए 4 महीने से अधिक समय हो चुका था.
संक्रमण की तीसरी लहर में लगभग 30 फीसदी मरीज ऐसे थे, जिन्होंने एक भी डोज का टीका नहीं लिया था और इनमें लगभग सभी 18 वर्ष से कम उम्र वाले थे. ऐसे में वैक्सीनेशन के दोनों डोज कंप्लीट करने के बावजूद संक्रमण की चपेट में आने से लोगों के मन में वैक्सीनेशन को लेकर सवाल भी उठे, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीनेशन का ही असर है कि संक्रमण इस बार गंभीर नहीं हुआ.
पटना पीएमसीएच के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर ऋषि कांत सिंह (Senior Physician Dr Rishi Kant Singh PMCH) ने बताया कि वैक्सीनेशन का निश्चित तौर पर बहुत फायदा हुआ है. उन्होंने बताया कि संक्रमण की दूसरी लहर में कोरोना का डेल्टा वैरिएंट था और तीसरी लहर में यह म्यूटेंट करके ओमीक्रान वेरिएंट बन गया है. वायरस के म्यूटेशन से ही वैक्सीनेशन के बावजूद लोगों को इंफेक्शन हो रहा है, लेकिन वैक्सीन काफी कारगर है.
'इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता कि जिन लोगों ने वैक्सीनेशन की दोनों डोज कंप्लीट की है उनकी तबीयत काफी जल्दी ठीक हुई. वैक्सीनेशन की वजह से ही इस बार लोग तीन से चार दिनों में स्वस्थ हो जा रहे हैं और हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता नहीं पड़ रही. जितनी संख्या में संक्रमण की तीसरी लहर में लोग संक्रमित हुए हैं, उनमें से 99 फीसदी मरीज होम आइसोलेशन में ठीक हुए हैं.'- डॉ ऋषि कांत सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक, पटना पीएमसीएच
डॉ ऋषि कांत सिंह ने बताया कि संक्रमण की तीसरी लहर में अस्पतालों में एडमिट वहीं हो रहे हैं जो पहले से कोमोरबिडिटी के शिकार हैं. सिर्फ कोरोना की वजह से कोई भी मरीज अस्पताल में एडमिट नहीं हो रहा है जो दूसरी लहर में देखने को मिला था. उन्होंने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन में भी उनके काफी दोस्त रहते हैं जो चिकित्सा पेशे से जुड़े हुए हैं और उनसे लगातार वह बातचीत कर संपर्क में रहते हैं.