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क्या आपको पता है बिहार में अबतक कितनी बार हुए पंचायत चुनाव, 24 साल तक इलेक्शन पर क्यों रही रोक?

बिहार में पहली बार पंचायत चुनाव (Panchayat Election) पहली बार 1952 में हुआ था. जबकि 1977 के बाद 24 साल तक इलेक्शन नहीं कराए गए. हालांकि 2001 से हर 5 साल बार नियमित रुप से चुनाव हो रहे हैं.

Panchayat elections
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Published : Sep 11, 2021, 5:47 PM IST

पटना:11 चरणों में हो रहे पंचायत चुनाव (Panchayat Election)को लेकर अभी बिहार में आचार संहिता लागू है, लेकिन क्या आपको पता है कि पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System) लागू होने के बाद अबतक कितनी बार चुनाव हुए हैं? भारत की आजादी के बाद पहली बार जब बिहार-झारखंड संयुक्त राज्य था, तब बिहार में पहला पंचायत चुनाव 1952 में हुआ था. शुरुआती दिनों में ग्राम पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष की जगह 3 वर्ष का ही हुआ करता था.

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आजादी मिलने के साथ ही राज्यों में लोगों को सशक्त बनाना या गांव के लोगों की उसकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कल्याणकारी योजनाओं में गति लाने और स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे विवादों के आपस में समझाने के उद्देश्य से पंचायत का गठन किया गया था.

देखें रिपोर्ट

शुरुआती दिनों में ग्राम पंचायत का कार्यकाल 3 वर्ष ही हुआ करता था. बिहार में पंचायत राज को सशक्त बनाने की दिशा में यह कदम उठाया गया था. तब सरकार ही पंचायत चुनाव करवाती थी.

1952 के बाद दूसरी बार साल 1955 में पंचायत चुनाव हुआ, फिर 1958, 1961 और 1964 में पंचायत चुनाव हुआ था. साल 1964 के बाद फिर कानूनी प्रक्रिया के कारण पेंच फंस गया और 1977 में अंतिम बार पंचायत चुनाव हुआ. उसके बाद नीतियों के अभाव में पंचायत स्थगित हो गई.

1977 के बाद फिर लंबे समय तक बिहार में पंचायत चुनाव हुआ ही नहीं. 2001 में सरकार ने पंचायत चुनाव की घोषणा की. 24 साल बाद फिर से पंचायत चुनाव हुआ. तब से हर 5 साल पर चुनाव हो रहे हैं. 2006, 2011 और 2016 में पंचायत चुनाव कराए गए. 2021 में फिर पंचायत चुनाव हो रहे हैं. इस तरह से अभी तक कुल 10 बार पंचायत चुनाव हो चुके हैं.

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इस बार भी पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है. 11वें पंचायत चुनाव के लिए 11 चरणों में वोट डाले जाएंगे. 24 सितंबर से पहले चरण का चुनाव शुरू होगा, जो 12 दिसंबर तक चलेगा. पहली बार ईवीएम (EVM) और बैलेट दोनों का प्रयोग किया जा रहा है. साथ ही बायोमेट्रिक मशीन (Biometric Machine) से मतदाताओं की उपस्थिति दर्ज की जायेगी. उनके आंखें की पुतली और अंगूठे की छाप को पहचान के तौर पर मतदान समाप्त होने तक सुरक्षित रखा जाएगा. इससे किसी एक मतदाता के दूसरी बार वोट देने की संभावना पूरी तरह खत्म हो जायेगी.

आपको बता दें कि पंचायती राज व्यवस्था बिहार में आने के बाद विकास में गति मिली है. हालांकि नीतीश कुमार के आने के बाद पंचायती राज पर ज्यादा फोकस रहा है. सात निश्चय-1 और सात निश्चय-2 से पंचायत को और मजबूती मिली है.

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