पटना:बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हालात बेकाबू हैं, सरकार भी बेबस नजर आ रही है. इलाज के अभाव में लगातार गंभीर रूप से कोरोना संक्रमित मरीज दम तोड़ रहे हैं. राज्य की रिकवरी रेट में लगातार गिरावट आ रही है. पूरे मसले पर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है.
बिहार के वीवीआईपी कर रहे हैं एम्स का रुख
बिहार का एकमात्र एम्स अस्पताल वीवीआइपी से भरा पड़ा है. आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा, बीजेपी विधायक जीवेश मिश्रा के अलावा बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस के परिजन एम्स में भर्ती होकर या तो इलाज करा रहे हैं या करा चुके हैं.
बिहार का रिकवरी रेट घटकर हुआ 64 फ़ीसदी
एम्स में लगभग 500 बेड हैं और वहां गंभीर रूप से बीमार लोगों को एडमिट होने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. इलाज के अभाव में अवकाश प्राप्त अधिकारी ने एम्स परिसर में ही दम तोड़ दिया. हालांकि वीआईपी और वीवीआईपी को आसानी से जगह मिल जाती है. एनएमसीएच की व्यवस्था पर पहले ही कई वीडियो वायरल हो चुके हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट किया था अस्पतालों में कुव्यवस्था की वजह से बिहार में अब रिकवरी रेट घटकर 64 फ़ीसदी रह गया है.
वीआईपी सिंड्रोम से आम लोगों को परेशानी
आईसीएमआर के गाइडलाइन के मुताबिक जो एसिंप्टोमेटिक कोरोना मरीज हैं उन्हें बड़े अस्पताल में जाने की जरूरत नहीं है. लेकिन बिहार के तमाम वीआईपी एम्स का रुख कर रहे हैं, जिससे आम लोगों को वहां जगह नहीं मिल पाती है. इस मसले पर विपक्ष ने सरकार पर चौतरफा हमला बोला है.
विपक्ष का चौतरफा हमला
आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि गरीब और आम लोगों को सरकार ने मरने के लिए छोड़ दिया है. जो वीवीआइपी हैं वह एम्स में आराम फरमा रहे हैं. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि सरकार के दावों की पूरी तरह पोल खुल गई है. पूरे बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है. सरकार ने कोरोना को लेकर कोई तैयारी नहीं की है.
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सरकार की दलील
विपक्ष के आरोपों पर बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक ही हम व्यवस्था कर रहे हैं. जो मरीज गंभीर रूप से बीमार नहीं है उन्हें आइसोलेशन में रखा जाता है. जो गंभीर रूप से बीमार हैं और निचले अस्पताल द्वारा रेफर किया जाता है उन्हें ही एम्स या फिर किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. लोग अपने मन से बड़े अस्पताल का रुख ना करें.