पटनाः बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. अगर यहां की कृषि नीतियों से किसानों को ही लाभ न मिले तो ऐसी नीतियों और व्यवस्थाओं का क्या फायदा. बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Agriculture Minister Sudhakar Singh) उत्पादन बढ़ाने के साथ ही किसानों को फायदा पहुंचाने वाली कृषि रोडमैप बनाने की बात कर रहे हैं. उन्होंने फिर से बिहार मेंमंडी व्यवस्था (Mandi system in Bihar) लागू करने की बात कही है. एक समय बिहार में कृषि के क्षेत्र में बेहतरी के लिए कृषि कैबिनेट की परंपरा शुरू की गई और एपीएमसी एक्ट को खत्म किया गया. एपीएमसी के बजाय पैक्स की व्यवस्था लागू की गई. कृषि उत्पादन में तो बढ़ोतरी हुई, लेकिन किसानों की आय में इजाफा नहीं हुआ. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर पुरानी व्यवस्थाएं अधिक फायदेमंद थी तो फिर बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी. विशेषज्ञों से बातचीत कर इन्हीं सवालों के जवाब जानने की कोशिश की जाएगी.
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मंडी व्यवस्था फिर से लागू करने की तैयारी:नीतीश कुमार 2005 में बिहार की सत्ता में काबिज हुए सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार कृषि के क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए एपीएमसी एक्ट को समाप्त कर दिया किसानों के बेहतरी के लिए पैक्स व्यवस्था लागू किया गया. बाजार समिति के बजाय किसान अपने उत्पाद पैक्स को देने लगे. 2006 से पहले बिहार में कुल 95 हजार समितियां थी जिसमें 53 हजार समितियों के पास अपना यार्ड था. किसान अपने उत्पाद बाजार समिति में बेचते थे. किसानों को बाजार समिति में ही न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाता था. उसके बदले में किसानों को 1% का कर देना होता था.
विशेषज्ञों की नजर में मंडी व्यवस्था अधिक फायदेमंदः अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है कि किसानों के आय को बढ़ाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. फिर से मंडी व्यवस्था को लागू करने की दिशा में पहल सकारात्मक कदम है. सरकार के कदम से किसानों ए आय में वृद्धि होगी और बिहार की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी. वहीं अर्थशास्त्री डॉ. अमित बक्सी का मानना है कि बाजार समिति व्यवस्था लागू होने से किसानों के आय में वृद्धि होगी बाजार समिति के जरिए किसानों को उनके उत्पाद की उचित कीमत मिलेगी. बिहार की एक चौथाई आए कृषि से होती है और 70% लोगों की निर्भरता खेती पर है बाजार समिति के जरिए डिमांड और सप्लाई का संबंध कायम होगा. कृषक महामाया प्रसाद का मानना है कि सरकार के कदम से किसानों को लाभ होने की संभावना है. बाजार समिति के जरिए किसान अपने उत्पाद को मनचाही कीमत पर बेच सकते थे. पैक्स के जरिए किसानों को ढेरों परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन बाजार समिति में किसानों के लिए विकल्प खुल जाएंगे.
"किसानों के आय को बढ़ाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. फिर से मंडी व्यवस्था को लागू करने की दिशा में पहल सकारात्मक कदम है"-डॉ. विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री