पटना: बिहार में 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव (By-elections) को लेकर राजनीतिक दलों के बीच जोर आजमाइश चल रही है. लंबे अरसे के बाद बिहार में बड़े भाई और छोटे भाई के बीच भी सीधा मुकाबला हो रहा है. आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार (Nitish Kumar) दो-दो हाथ कर रहे हैं. रणनीतिक तौर पर नेताओं का माइंड गेम भी जारी है. पटना की धरती पर पहुंचने से पहले लालू ने कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास (Bhakt Charan Das) को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और आने के बाद नीतीश के लिए 'विसर्जन' शब्द का इस्तेमाल किया. जिसके बाद सूबे की सियासत में उबाल आ गया.
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लालू यादव के बयान के बाद कांग्रेस और जेडीयू खेमे में हलचल मच गई और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. कांग्रेस ने जहां भक्त चरण दास पर कथित अपशब्द को दलित का अपमान बता दिया, वहीं नीतीश कुमार ने विसर्जन के जवाब में कहा दिया कि 'वो चाहें तो मुझे होली भी मरवा सकते हैं'. इसी बहाने उन्होंने 'जंगलराज' की याद दिलाने की कोशिश की.
लालू प्रसाद यादव ने अपने एक और बयान से कांग्रेस खेमे को नाराज कर दिया, जिसमें उन्होंने प्रदेश स्तर के नेताओं को 'छुटभैया नेता' करार दे दिया. इसका जमकर विरोध हुआ और आरजेडी अध्यक्ष के लिए भी कड़ें शब्दों का इस्तेमाल किया गया.
क्रिकेट में विरोधी खिलाड़ियों को नीचा दिखाने के लिए आम तौर पर स्लेजिंग (Sledging) की जाती है, लेकिन अब यह राजनीति में भी फैशन बन चुकी है. राजनीतिक दलों के नेता पहले तो एक-दूसरे को उकसाते हैं और फिर उसके बाद शब्दों की बाजीगरी कर जनता का ध्यान भटकाते हैं. जाहिर है भोली-भाली जनता भी बहुत आसानी से नेताओं के बहकावे में आ जाती है.
वैसे यह पहला मौका नहीं है, जब ऐसे बयान चुनावी हथकंडा बने हों. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के 'नीच राजनीति' वाले बयान को भी चुनावी मुद्दा बनाया गया था. उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नीतीश कुमार के 'राजनीतिक डीएनए' को लेकर जब बयान दिया गया था तो बिहार में खूब सियासत हुई थी. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा को लेकर पूछे गए सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा था कि 'डिबेट को निचले स्तर पर मत ले जाइए', तभी कुशवाहा ने उस बयान को मुद्दा बनाया था.
याद करिए कि किस तरह 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने भावनात्मक कार्ड खेला था. जब सीमांचल में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था, 'यह मेरा अंतिम चुनाव है अंत भला तो सब भला'. नीतीश कुमार के बयान का जेडीयू को फायदा मिला और सीमांचल इलाके में पार्टी ने बढ़त बनाई.