पटना: बिहार में 26 नवंबर यानी आज मद्य निषेध दिवस मनाया जा रहा है. सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को एक बार फिर से शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) की शपथ दिलायी गयी है. इससे पहले भी शराब नहीं पीने की (Oath For Not Drink Liquor) की शपथ दिलाई गई थी. साथ ही मानव श्रृंखला का भी निर्माण कराया गया था. लेकिन करीब 6 साल के दौरान जिस बड़े पैमाने पर शराब की बरामदगी हो रही है. बड़े पैमाने पर देसी शराब बनाए जा रहे हैं. जहरीली शराब से लोगों की मौत भी हो रही है तो शराबबंदी को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं. इसलिए आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को पुन: यह शपथ दिलवाई है कि आजीवन शराब नहीं पीनी है. साथ ही दूसरों को भी शराब का सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करना है.
ये भी पढ़ें :जान पर भारी 'जाम'! बिहार में नहीं थम रहा जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला
बिहार में शराबबंदी, कब क्या हुआ :राज्य में 1977 में जब कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने शराब बंदी लागू कराई थी और इसकी घोषणा मार्च 1977 में राज्यपाल जगन्नाथ कौशल ने किया था लेकिन कर्पूरी ठाकुर शासन काल में लागू शराबबंदी को डेढ़ साल बाद ही वापस लिये जाने का फैसला लिया गया. जब राम सुंदर दास मुख्यमंत्री बने तो उनकी नेतृत्व वाली सरकार ने शराबबंदी वापस करने का फैसला लिया और उस समय इसका बड़ा कारण यह था कि बड़े पैमाने पर शराब की कालाबाजारी होने लगी थी.
30 हजार करोड़ की पैरेलल इकोनॉमी : सूबे इन दिनों बड़े पैमाने पर शराब की कालाबाजारी हो रही है. कहा जा रहा है कि आज 30 हजार करोड़ की पैरेलल इकोनॉमी खड़ा हो गई है. 2014 में जब बिहार सरकार को शराब की बिक्री से 3300 करोड़ का राजस्व हासिल हुआ था तो कुल राजस्व बिहार का 25621 करोड़ था. वित्तीय वर्ष 2015- 16 में शराब की बिक्री से 4000 करोड़ का राजस्व प्राप्त होने का लक्ष्य रखा गया था जबकि कुल राजस्व का लक्ष्य 30708 करोड़ लगाया गया था. बिहार में शराबबंदी नहीं होता तो विशेषज्ञों का अनुमान है कि अब शराब की बिक्री से 10000 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त होता.
अप्रैल 2016 में दूबारा शराबबंदी :बिहार में एक समय नीतीश कुमार के शासन में ही गांव गांव तक शराब की बिक्री शुरू हो गई थी उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते थे कि लोग जितना शराब पिएंगे सरकार को उतनी राजस्व प्राप्त होगी. लेकिन जब शराबबंदी की मांग तेज हुई तो नीतीश कुमार ने एक झटके में ही शराबबंदी लागू कर दी. 1 अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू की गई. शुरू में देसी शराब बंद किया गया लेकिन कुछ ही दिन में पूर्ण शराब बंदी लागू कर दी गई.
शराबबंदी पर सवाल :शराबबंदी को लेकर बिहार सरकार ने देश में सबसे सख्त कानून बनाया है. शराब पीने से लेकर बेचने तक तक अपराध है. रखने से लेकर निर्माण कर कहीं ले जाने तक अपराध है. सख्त कानून के कारण ही 3 लाख से अधिक लोगों की गिरफ्तारियां हो चुकी है. इसलिए विपक्ष के साथ कई बार सहयोगी दल के नेता भी शराबबंदी को लेकर सवाल खड़ा करते रहे हैं. हाल के दिनों में जितने बड़े पैमाने पर जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है उसके कारण सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं.