पटना:इफको ने नये साल में किसानों को नैनो यूरिया की सौगात (Nano Urea for Farmers) दी है. जहां दानेदार यूरिया खाद की जगह महज 500 मिलीलीटर नैनो यूरिया का प्रयोग किया जा सकता है. लेकिन, पटना के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों नैनो यूरिया के प्रति किसानों में कोई रुचि नहीं दिख रही है. लोग इसे लेने से कतराते दिख रहे हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में लोगों ने कहा कि हमें इस पर विश्वास नहीं है. नैनो यूरिया के प्रचार का अभाव (Lack of promotion of nano urea) है. भारत सरकार द्वारा नए साल में किसानों के लिए लांच किए गए नैनो यूरिया का इन दिनों काफी नाम हो रहा है.
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कहा जा रहा है कि नैनो यूरिया खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है और फसल का उत्पादन अच्छे ढंग से करती है. वहीं, दानेदार यूरिया जहां 1 बोरा लगता है वहां महज 500 मिलीलीटर के लिक्विड नैनो यूरिया अच्छे ढंग से काम करती है. लेकिन, पटना के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों नैनो यूरिया के प्रति किसानों में कम रुचि देखी जा रही है, लोग इसे लेने से कतराते नजर आ रहे हैं.
मसौढ़ी के बिस्कोमॉन में खाद लेने आए किसानों से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया के प्रति हमारा विश्वास नहीं है, हम कैसे लें जब तक सरकार गांव-गांव में इसको प्रयोग करके हमें नहीं बताएगी, हम कैसे विश्वास कर सकते हैं. हम सदियों से यूरिया खाद का प्रयोग खेतों में करते आ रहे हैं, लेकिन अभी गांवों में इसको लेकर कोई जागरूकता नहीं है, इसलिए हम सभी नैनो यूरिया का प्रयोग नहीं करेंगे. इफको द्वारा नए साल में नई सौगात किसानों के लिए लाई गई नैनो यूरिया के बारे में कहा जा रहा है कि यह खेतों में न केवल उर्वरा शक्ति को बढ़ावा देती है, बल्कि फसल के उत्पादन में अधिक लाभकारी होती है, जिसके कई फायदे भी हैं.