पटना.नीतीश कुमार शपथ के 56 दिन बाद 'दोस्त और दुश्मन' की बात कर रहे हैं. कह रहे हैं कि अब 'दोस्त' और 'दुश्मन' की पहचान कर आगे की सियासत की जाएगी. ऐसे में सवाल उठता है कि 'दबाव' वाले मुख्यमंत्री को इतने दिन बाद भी ये पता नहीं चल सका कि उनका 'दोस्त' कौन है और 'दुश्मन' कौन है?
दरअसल, पटना में जेडीयू प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई. बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि जेडीयू बिहार में 'दोस्त' और 'दुश्मन' की पहचान कर आगे की सियासत करेगी. नीतीश कुमार के इस बयान से तो ऐसा ही लगता है कि शपथ के 56 दिन बाद भी उन्हें ये पता नहीं चल सका कि उनका 'दोस्त' कौन है और 'दुश्मन' कौन है. ये सवाल इस लिए उठ रहा है कि जब किसी बड़े राज्य के मुख्यमंत्री किसी बैठक में इस तरह की बातें करता है, तो शंका होती है.
दबाव में हैं नीतीश?
नीतीश कुमार अक्सर कहते हैं कि वे 'दबाव' में मुख्यमंत्री बने हैं. यह बात उन्होंने एक बार फिर प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भी कही. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हमारे कम लोग जीते तो हम मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे, लेकिन लोगों के 'दबाव' के कारण मुझे मुख्यमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा. ऐसे में ये मान लिया जाए कि नीतीश कुमार 'दबाव वाले मुख्यमंत्री' हैं और दबाव में ही राजनीति या सरकार से जुड़े फैसले ले रहे हैं?