पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) यूपी के दौरे पर हैं. यूपी में पीएम की पहली प्राथमिकता पूर्वांचल की तैयारी है. सबसे बड़ा काम प्रधानमंत्री ने पूर्वांचल एक्सप्रेस वे (Purvanchal Expressway) को जनता को समर्पित कर के दे दिया जो बक्सर में बिहार को भी जोड़ती है. दूरी सिर्फ 18 किलोमीटर की है. अगर इस 18 किलोमीटर की दूरी को पाट दिया जाए तो पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर बिहार वाली राजनीति भी आते ही रफ्तार पकड़ने लगेगी. हालांकि इस रास्ते के बनने में में अभी थोड़ा वक्त है. चर्चा में बात राजनीति की भी है और विकास की भी. जिसमें सियासी गठबंधन का वह समीकरण कहीं न कहीं जगह बनाए हुए हैं कि सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) वाली जदयू उत्तर प्रदेश में योगी वाली भाजपा के साथ गठबंधन कैसे करेगी. यहीं से शुरू हो रही है बिहार और यूपी के मॉडल की चर्चा जिसमें कई चीजें गठजोड़ की भी हैं और विभेद की भी.
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मुद्दा और चेहरे की जद्दोजहद
दरअसल, 2022 की सत्ता की हुकूमत की जंग के लिए (UP Assembly Elections) उत्तर प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों ने ताल ठोक दिया है. बिहार से भी जो राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश में चुनावी लड़ाई में हिस्सेदार होना चाह रहे हैं, उसमें सबसे बड़ी दावेदारी जदयू की है. राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए नीतीश कुमार की पार्टी को वहां पर कम से कम 13 सीटों पर चुनाव लड़ना होगा. 15 सीटों की दावेदारी की बात पहले कही गई थी लेकिन अब 18 सीटों की दावेदारी की चर्चा शुरू हो गई है. बीजेपी (BJP) से जेडीयू (JDU) कम से कम 18 सीटें उत्तर प्रदेश में मांगेगी. लेकिन सवाल यह उठता है कि जदयू जिन मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश के चुनाव में जाना चाह रही है, उसमें कौन सा चेहरा और कौन सी हनक उत्तर प्रदेश की जनता मानेगी. इस विषय को लेकर बीजेपी में मंथन है. जदयू भी चिंता में डूबी हुई है कि आखिर इसका किया क्या जाए.
2014 में बिहार विधानसभा चुनाव में जब पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) के बीच राजनीतिक विवाद चल रहा था तो चर्चा बहुत जोरों से थी गुजरात के विकास का मॉडल और नीतीश कुमार का बिहार मॉडल की. अब यूपी के मॉडल को जिस तरीके से खड़ा किया गया और बिहार की जिस मॉडल को लेकर नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश जाना चाह रहे हैं उसमें विभेद थोड़ा बड़ा होता दिख रहा है.
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हवा निकाल रहे चिराग
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के लोकार्पण समारोह के बाद जमुई के सांसद चिराग पासवान (MP Chirag Paswan) ने नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया और कहा कि बिहार को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जैसा कोई रास्ता नीतीश कुमार कब देंगे. अब सवाल उठ रहा है कि जिस पूर्वांचल में जदयू चुनाव लड़ने की तैयारी करने जा रही है, उस तैयारी की हवा चिराग पासवान यहीं से निकाल रहे हैं कि कोई एक पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जैसा रास्ता तो दे दीजिए बताने के लिए कि बिहार में हमने भी एक्सप्रेसवे बनाया है. हालांकि चुनाव में रफ्तार भरने के लिए जदयू ने पूरी तैयारी कर ली है. मुद्दों की जब तैयारी की जाती है तो जदयू के नेता भी अगल-बगल झांकने लगते हैं. सोचने लगते हैं कि यूपी के चुनाव में जाने का सबसे बड़ा मुद्दा हम लोग क्या बना सकते हैं.
बिहार में सबसे बड़ी तैयारी अगर सत्ता पक्ष और विपक्ष की रही है जिसमें बीजेपी को घेरने की कवायद हाल के दिनों में रही तो उसमें जाति जनगणना बड़ा मुद्दा रहा. बिहार के उजियारपुर से सांसद और देश के गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Minister Nityanand Rai) ने कह दिया कि सरकार जाति जनगणना (Caste Census) नहीं करवाएगी. लोकसभा में उनके उस बयान के बाद बिहार की सियासत में भूचाल आ गया.
नरेंद्र मोदी वाली सरकार को यह बताने के लिए कि बिहार में जाति जनगणना होनी चाहिए, नीतीश कुमार तमाम विपक्षी दलों के साथ दिल्ली पहुंच गए. बात भी रख दिए लेकिन कोई फलाफल निकलता नहीं दिख रहा है क्योंकि जिस जाति जनगणना को सियासत में मुद्दा बनाने की कोशिश हो रही है, उसकी पूरी बानगी ही भटक गई. ऐसे में बिहार में जाति जनगणना वाली राजनीति को उत्तर प्रदेश में ले जाकर बजाने का कोई फायदा मिलेगा, यह सभी राजनीतिक दल बेहतर तरीके से जानते हैं कि उत्तर सिफर ही रहेगा.