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महागठबंधन या फिर NDA, जानिए पहले चरण में कौन है आगे

28 अक्टूबर को पहले चरण का मतदान होना है. इससे पहले सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है. लेकिन पहले चरण में किसको फायदा हो सकता है और किसको नुकसान उसे 2015 के आंकड़ों से समझा जा सकता है.

NDA or mahagatbandhan who is ahead in bihar first phase electio
तेजस्वी और नीतीश

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Published : Oct 24, 2020, 9:02 PM IST

Updated : Oct 25, 2020, 3:49 PM IST

पटना:पिछली बार बिहार चुनाव पांच चरणों में हुए थे. लेकिन इस बार तीन चरणों में चुनाव संपन्न हो जाएगा. 28 अक्टूबर को पहले चरण के लिए 71 सीटों पर मतदान होगा. यह फेज सभी पार्टियों के लिए काफी खास है. क्योंकि, गुजरे पांच सालों में प्रदेश का सियासी समीकरण पूरी तरह से उल्टा हो गया है. तब नीतीश कुमार ने आरजेडी से साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन आज वे एनडीए के पाले में हैं.

पहले चरण में जिन 71 सीटों पर वोटिंग होनी है, उनमें से आरजेडी ने पिछली बार 29 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और 27 सीटों पर कब्जा किया था. तब नीतीश कुमार भी इनके साथ थे. जेडीयू ने भी 29 सीटों पर लड़कर 18 सीटों पर कामयाबी पायी थी. हालांकि, उस समय आरजेडी की कमान लालू यादव के हाथों में थी और करीब दो दशक बाद लालू-नीतीश मंच साझा करते हुए प्रचार कर रहे थे.

2015 विधानसभा चुनाव के आंकड़े ( कुल सीट और जीत के बीच जो अंतर है वह सीट अन्य के खाते में गईं हैं)

आरजेडी की मुश्किल

2020 में 2015 के मुकाबले परिस्थितियां काफी बदल चुकी है. ऐसे में आरजेडी की मुश्किल भी बड़ी है. हालांकि, तेजस्वी की रैली और सभा में लोगों की काफी भीड़ तो आ रही है, लेकिन क्या ये भीड़ वोट में तब्दील होगी ये भी बड़ा सवाल है. इस बार आरजेडी ने पिछली बार से ज्यादा यानी 43 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं और उसके साथ कांग्रेस लेफ्ट की पार्टियां भी है.

नीतीश कुमार

एनडीए के लिए चुनौती कम नहीं

वैसे, एनडीए के घटक दलों के लिए भी चुनौती कम नहीं है. बीजेपी इस बार जेडीयू और हम और वीआईपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. 2015 में महागठबंधन की तुलना में इन 71 सीटों पर एनडीए का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा था. यहां बीजेपी 40 सीटों पर लड़ी थी और उसे 13 सीटों पर जीत मिली थी. इस बार वह सिर्फ 29 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जबकि, जदयू को तालमेल में ज्यादा सीटें मिली हैं और वह 35 सीटों पर भाग्य आजमा रहा है. ऐसे में भाजपा के लिए अपना वोट जदयू उम्मीदवारों को ट्रांसफर करवाना बड़ी चुनौती है. इस चुनाव में जीतन राम मांझी को 7 सीटें दी गई हैं, उनमें से 6 पर पहले चरण में चुनाव हो रहे हैं. 2015 में भी मांझी एनडीए में थे और उनकी पार्टी 'हम' 10 सीटों पर लड़कर सिर्फ 1 सीट ही जीत पाई थी.

तेजस्वी यादव

नए समीकरण से किसको होगा फायदा

हालांकि, पिछली बार जब आरजेडी और जेडीयू साथ चुनाव लड़े थे तो इसका फायदा कांग्रेस भी मिला था. 71 सीटों में से सिर्फ 13 पर लड़कर भी कांग्रेस 9 सीट जीत गई थी. लेकिन, इस बार वह 21 सीटों पर चुनाव मैदान में है. हालांकि समीकरण बदलने के बाद जमीनी हालात पूरी तरह अलग है.

Last Updated : Oct 25, 2020, 3:49 PM IST

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