मुजफ्फरपुर: जिले को लीची उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया में एक अलग पहचान हासिल है. अब जल्द ही ये लीची की प्रजाति के ही एक दूसरे फल गंडकी लौंगन के उत्पादन में अपनी पहचान बनाएगा. रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर इस फल से संबंधित शोध का काम पूरा हो चुका है.
लौंगन का देसी वर्जन 'गंडकी उदय'
इस दिशा में मुजफ्फरपुर के मुसहरी स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में लौंगन के पौधों का प्रचार प्रसार और उत्पादन पर शोध किया गया जो सफल रहा. अनुसंधान केंद्र में इस विदेशी फल का देसी संस्करण तैयार कर लिया है, जिसका नामकरण 'गंडकी उदय' किया गया है.
पौधे की नर्सरी भी हुई तैयार
रंग रूप में एव स्वाद में लीची से मिलते-जुलते इस विदेशी फल लौंगन की व्यवसायिक खेती के लिए मुजफ्फरपुर में जमीन पूरी तरह तैयार हो चुकी है. फिलहाल अनुसंधान केंद्र में इसके एक सौ से अधिक पौधे इस समय फल से लदे है. केंद्र में इस पौधे की नर्सरी भी तैयार की जा चुकी है.
लौंगन की व्यवसायिक खेती का रास्ता साफ
इस पौधे की नर्सरी की मदद से जल्द ही बिहार में इस विशिष्ट और औषधीय गुणों से भरपूर इस फल की व्यवसायिक खेती का रास्ता साफ हो जाएगा. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसकी खेती से लीची उत्पादन से जुड़े किसानों की आमदनी को बढ़ाने में भी काफी मदद मिलेगी.
लौंगन के फल दिखाता अनुसंधान केंद्र का कर्मी दक्षिणी चीनी मूल का फल है लौंगन
कृषि वैज्ञानिकों की माने तो यह फल पौष्टिकता के मामले में लीची से भी ज्यादा फायदेमंद होता है. दक्षिणी चीनी मूल के इस फल पर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र पिछले कई सालों से शोध कर रहा था, जिसके बाद इसकी व्यवसायिक खेती में सफलता हाथ लगी है.
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में लौंगन की खेती वियतनाम, चीन, मलेशिया और थाईलैंड में होती है खेती
फिलहाल इस फल की खेती वियतनाम, चीन, मलेशिया और थाईलैंड में व्यापक रूप से की जाती है. लेकिन अब बिहार के मुजफ्फरपुर में भी लौंगन के देसी संस्करण 'गंडकी उदय' की खेती बड़े स्तर पर शुरू की गई है. ऐसे में जल्द ही ये फल अपने देसी वर्जन के साथ मार्केट में अपनी दस्तक के लिए तैयार हो रहा है.