नयी दिल्ली: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने कहा कि मनरेगा (MGNREGA) में फंड की कमी न थी, ना है और ना भविष्य में होगी. तमिलनाडु और उड़ीसा जैसी राज्य सरकारों से पूछना चाहता हूं कि कोई राज्य वित्तीय अनुशासन के बगैर कोई शासन व्यवस्था चला सकता है क्या?
ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुरः जहरीली शराब से पांच की मौत, थानाध्यक्ष और दो चौकीदार सस्पेंड
उन्होंने कहा कि मार्च में वित्तीय वर्ष का अंत होता है. उसके बाद 6 महीने मनरेगा का जो टर्म्स कंडीशन होता है. उसके अनुसार हम राज्यों को पेमेंट करते हैं लेकिन मनरेगा का नियम यह भी है कि 30 सितंबर के बाद जब भी राज्यों के द्वारा कोई मांग की जाएगी तो उसमें ऑडिट रिपोर्ट होना जरूरी है. यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (UC) होना चाहिए. इन दोनों राज्यों ने न ऑडिट रिपोर्ट भेजा ना यूसी. सोशल ऑडिट में सामने आया है कि फंड में 250 करोड़ की अनियमितता थी. पूरे देश के राज्यों को एडवाइजरी दे रहा हूं कि वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं करेंगे तो मनरेगा का पेमेंट करने में हमें दिक्कत होगी.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, उड़ीसा जैसे राज्यों को धन राशि की पहला हिस्सा अप्रैल में जारी किया था. दूसरा हिस्सा तभी जारी किया जाएगा जब राज्य पिछले वित्त वर्ष का ऑडिट रिपोर्ट देंगे. इन राज्यों ने ऐसा नहीं किया था. कुछ राज्यों ने वित्तीय नियमों एवं विनियमों का पालन किये बिना ही कार्यक्रम के तहत केंद्र से धनराशि मांगी.
बता दें कि उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) ने पीएम मोदी (PM Narendra Modi) को चिट्ठी लिखी थी. मांग की थी कि समय रहते मनरेगा के तहत मिलने वाले वेतन का आवंटन किया जाए. केंद्र के पास उड़ीसा का 1088 करोड़ रुपया बकाया है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था. उन्होंने तत्काल धनराशि जारी करने की मांग की है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु को जारी 3524.69 करोड़ रुपए की पूरी राशि का उपयोग 15 सितंबर तक कर लिया गया है. तब से केंद्र सरकार द्वारा फंड जारी नहीं किया गया. इसके चलते मजदूरों का 1178.12 करोड़ रुपये का वेतन बकाया हो गया है.