पटना:मासिक शिवरात्रि व्रत 30 जनवरी दिन रविवार को है. यह माघ मास की मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri of Magh Month) है. पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं. शिव जी के आशीर्वाद से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. कष्ट, पाप, भय से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. मासिक शिवरात्रि के दिन जो भी व्रत रखते हैं, उनको पूजा के समय शिवरात्रि व्रत की कथा का श्रवण करना चाहिए. इससे भगवान शिव की कृपा उन जातकों के ऊपर बनी रहती है.
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव अपने परम ब्रह्म स्वरूप में थे और शिवरात्रि की रात्रि में लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे. एक प्रकार से भगवान सदाशिव परम ब्रह्म स्वरूप से साकार हुए थे, तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने शिवलिंग के प्रथम पूजा की थी. इस वजह से शिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती और रति जैसी देवियों ने शिवरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Fasting) रखकर शिव कृपा प्राप्त की थी.
माघ मास के कृष्ण चतुर्दशी तिथि 30 जनवरी को शाम 5:28 से शुरू हो रहा है, जो अगले दिन दोपहर 2:18 तक रहेगा. मासिक शिवरात्रि की पूजा का मुहूर्त 30 जनवरी को रात 11:38 से देर रात 12:52 तक रहेगा. मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. माघ मास में शिव पूजा (Worship of Lord Shiva) का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है. मासिक शिवरात्रि के दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस दिन व्रत रखने से दांपत्य जीवन में मधुरता और कन्याओं के विवाह में अगर कोई परेशानी आ रही है वह भी दूर हो जाती है, विद्यार्थियों को भी लाभ प्राप्त होता है.
वहीं, मानव जीवन में नवग्रहों का विशेष प्रभाव पड़ता है. नवग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु हमारे लग्न और हर राशि में सभी ग्रह अनुकूल नहीं होते हैं. कुछ ग्रह अनुकूल होते हैं कुछ ग्रह प्रतिकूल होते हैं. जब अनुकूल ग्रहों की दशा महादशा चलती है तो जीवन में व्यक्ति तरक्की करता है और जब मारक ग्रहों की दशा महादशा चलती है तो व्यक्ति के जीवन में संघर्ष होता है, वह जातक जिनके जीवन में संघर्ष है, परेशान हैं, वह अगर मासिक शिवरात्रि व्रत का पूजा विधि पूर्वक करते हैं तो ग्रहों का जो दुष्प्रभाव है, उनके ऊपर नहीं पड़ता है, क्योंकि भगवान भोलेनाथ ग्रहों के महाराजा होते हैं.
मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वाले जातक प्रातः उठ जाएं और अपने नित्य क्रिया को पूर्ण करने के बाद घर के मंदिर की साफ सफाई करें, घी का दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें. पूरे दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करें. ओम नमः शिवाय का जप करें और शिव चर्चा करें. तत्पश्चात बताए गए रात्रि मुहूर्त में विशेष पूजा करें. भगवान भोलेनाथ की प्रिय वस्तुएं जैसे पंचामृत, भांग, धतूरा, बेल पत्र, ऋतु फल इत्यादि उन्हें अर्पित करें और विशेष मुहूर्त में ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और जीवन में जो भी समस्याएं हैं, उन समस्याओं को समाप्त करने के लिए प्रार्थना करें. भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर के ऐसे जातकों को चारों पुरुषार्थ की सिद्धि प्रदान करेंगे. हमारे जीवन में जो चारों पुरुषार्थ हैं वह धर्म, अर्थ, काम और अंत में मोक्ष भगवान भोलेनाथ की कृपा से ऐसे जातकों को आसानी से प्राप्त हो जाता है.
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