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बिहार के लाल शहीद रामानुज यादव पंचतत्व में विलीन, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

लद्दाख में शहीद सेना के जवान रामानुज यादव (Ramanuj Yadav Martyred in Ladakh) का राजकीय सम्मान के साथ रविवार को उनके पैतृक गांव पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के परियो अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम विदाई देने के लिए बड़ा जनसैलाब मौके पर उमड़ पड़ा था. पढ़ें पूरी खबर

शहीद रामानुज यादव
शहीद रामानुज यादव

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Published : May 29, 2022, 9:34 PM IST

पटना: लद्दाख में हुए सड़क हादसे (Ladakh Army Bus River Accident) में सेना के सात जवान शहीद हो गये थे. सात जवानों में से एक जवान पटना जिला के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के परियो गांव निवासी लाल उर्फ ललन यादव के सबसे छोटे पुत्र रामानुज यादव थे. रविवार को लद्दाख से उनका पार्थिव शरीर (Mortal Remains of Martyred Jawan Ramanuj Yadav) उनके गांव परियो पहुंचा. गांव में राजकीय सम्मान के साथ उनके शव का अंतिम संस्कार किया गया. मौके पर जनप्रतिनिधि, सेना, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का बड़ा काफिला मौजूद था. वहीं पर शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था. लोगों ने नम आंखों से अपने शहीद जवान को श्रद्धांजलि दी.

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''बीते 27 मई को 22 मराठा रेजिमेंट के जवान लांस नायक रामानुज कुमार की सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद आर्मी की ओर से सारी प्रक्रिया कर उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव लाया गया. सेना की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर देने के बाद उनके परिवार को पार्थिव शरीर को सौंपा गया, जहां पूरे हिंदू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया."- कुणाल कुमार शर्मा, सेना के अधिकारी

बड़े भाई ने दी मुखाग्निःपालीगंज के लाल शहीद लांस नायक रामानुज कुमार यादव का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव परियों पहुचते ही इलाके के लोगों ने रामानुज अमर रहें, भारत माता की जयकारे और हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों के साथ भारी संख्या में लोगों ने श्रद्धांजलि दी. साथ ही पार्थिव शरीर के साथ स्थानीय भाजपा सांसद रामकृपाल यादव भी शहीद के पैतृक गांव पहुंचे. वही. गांव के बूढ़ों से लेकर बच्चों तक की आखों में आंसू छलक आया. अधिकारी और गांव जवार के लोग श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों की संख्या में जुटे रहे. गांव से शहीद के पार्थिव शरीर को सेना के जवानों के द्वारा पालीगंज के चढ़ोस मठिया पुल के नीचे पुनपुन नदी के पास अंतिम संस्कार के लिए लाया गया. वहां आर्मी के जवानों की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. उसके बाद शहीद के बड़े भाई जयप्रकाश ने अपने शहीद छोटे भाई को मुखाग्नि दिया. इस दौरान काफी संख्या में गांव और आसपास के लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए.

शहीद रामानुज सबसे छोटा बेटाःबता दें कि ललन यादव के तीन बेटा और दो बेटी थी, जिसमें शहीद जवान रामानुज सबसे छोटे बेटे थे. शहीद जवान ने 23 सितंबर 2016 को महाराष्ट्र के मराठा रेजिमेंट के तहत आर्मी में चयन हुआ था. जबकि अन्य बड़े दो भाई में एक रेलवे में हैं. दूसरे भाई प्राइवेट नौकरी करते हैं.



परिवार में सरकारी नौकरी की मांगः वहीं मृतक शहीद रामानुज कुमार के बीच वाले भाई रामजी कुमार ने बताया कि उन्हें फोन के जरिए सूचना मिली कि उन का छोटा भाई सड़क हादसे में लद्दाख में शहीद हो गया है. इसके बाद हम सभी लोग गांव पहुंचे. हमारी भारत सरकार और राज्य सरकार से मांग है कि हमारे परिवार को एक सरकारी नौकरी मिले. इसके अलावा मां-बाप को पेंशन मिले जिससे उनका जीवन यापन हो सके. साथ ही गांव में मेरे भाई के नाम पर स्मारक और मुख्य द्वार बनाया जाए.
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