पटना:बिहार को एक साथ बाढ़ और सुखाड़ की मार झेलनी पड़ रही है. उत्तर बिहार में बाढ़ का कहर जारी है. उत्तरी बिहार के जिलों में बाढ़ (Bihar Flood) का कारण नेपाल में हुई भारी बारिश को भी माना जा रहा है. वहीं दक्षिण बिहार के कई जिलों में सुखाड़ ने किसानों की फसलों को चौपट (Farmer upset due to less rain) कर दिया है. कृषि विभाग की मानें तो राज्य में बारिश तो हुई है, लेकिन इतनी अच्छी भी बारिश नहीं हुई है कि खेतों को धान की रोपनी के लायक तैयार किया जा सके.
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बिहार में कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ : मौसम वैज्ञानिक के अनुसार, (Patna meteorological centre) इस बार बारिश नहीं होने से धान रोपाई भी सही ढंग से शुरू नहीं हो पाई है. जबकि किशनगंज, अररिया, सुपौल ऐसे जिले हैं जहां सामान्य से अधिक बारिश दर्ज किया गया गया हैं. दूसरी तरफ, जल संसाधन विभाग के मुताबिक, उत्तरी बिहार के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. राज्य की प्रमुख नदियों में कोसी, कमला बलान और महानंदा कुछ स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.
इन जिलों में अब तक कितनी बारिश:आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में अब तक 263 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन नौ जुलाई तक 191.7 मिलीमीटर ही बारिश हुई है. बताया जा रहा है कि राज्य के 20 से 22 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से 40 फीसदी या उससे भी कम बारिश हुई है. अरवल, गया और शिवहर जिले में अब तक 64 फीसदी बारिश हुई है. शेखपुरा, औरंगाबाद में 63 फीसदी, सारण में 58 फीसदी, लखीसराय में 56 फीसदी, भागलपुर, कटिहार, नवादा में 52 फीसदी, रोहतास में 50 फीसदी, नालंदा, भोजपुर, गोपालगंज में 48 फीसदी, सिवान में 46 फीसदी, बांका में 45 फीसदी, जहानाबाद में 43 फीसदी, भभुआ में 42 फीसदी, समस्तीपुर में 40 फीसदी और वैशाली में अब तक 40 फीसदी ही बारिश हुई है.
''प्रदेश में मानसून समय पर आ गया लेकिन ड्राइ स्पेल काफी लंबा हो गया है और अभी भी ड्राई स्पेल चल रहा है. जो लगभग 4 दिनों तक चलेगा. प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से काफी कम वर्षा पात दर्ज की गई है. अब तक बिहार में सामान्य से 36 फीसदी कम बरसात दर्ज की गई है. अगर पूर्वानुमान की बात करें तो अगले 5 दिनों तक कहीं-कहीं बरसात देखने को मिलेगी. 20 जुलाई के बाद प्रदेश में वर्षा चक्र सक्रिय होने के आसार बन रहे हैं.''- आनंद शंकर, मौसम वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान केंद्र पटना
पिछले वर्षों में मानसून में हुई बरसात :पिछले वर्षों के मानसून में हुई बारिश के आंकड़ों पर नजर डाले तो साल 2015 में 27 फीसदी कम बारिश हुई. 2016 में 3.2 फीसदी कम, 2017 में 7.9 फीसदी कम, 2018 में 24 फीसदी कम, 2019 में 3 फीसदी अधिक, 2020 में 25 प्रतिशत अधिक और साल 2021 में 19 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई. इस साल राज्य में कम बारिश होने के कारण राज्यभर में करीब 20 फीसदी ही धान की रोपनी हो पाई है. कई जिलों में तो धान के बीज (बिचड़े) डालने तक बारिश नहीं हुई है.
नहरों में पर्याप्त पानी न आने से किसान चिंतित:किसानों की मुश्किल यहीं खत्म नहीं होती. खेती के लिए मानसून के अलावा किसान नहरों पर भी निर्भर रहते है. इस बार नहरों में भी पानी पर्याप्त नहीं है. सोन, उत्तर कोयल, कोसी, गंडक नहर में पर्याप्त पानी नहीं है. जिस वजह से नहर में अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. सोन नहर प्रणाली में इंद्रपुरी बराज से पर्याप्त पानी नहीं आ रहा है. रिहंद और बाणसागर से बिहार को पानी नहीं मिलने के कारण लगभग एक दर्जन जिलों में किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
जलाशय सूखे, किसानों को नहीं मिल रहा पानी: बिहार की ओर से इंद्रपुरी बराज में पानी की कम उपलब्धता और सूखे की स्थिति को देखते हुए रिहंद और बाणसागर जलाशय से प्रतिदिन 15,030 क्यूसेक पानी की मांग की गई है. पिछले एक सप्ताह में बिहार की तरफ से 90,059 क्यूसेक पानी की मांग की गई, लेकिन मिला केवल 47,998 क्यूसेक पानी और यह केवल बाणसागर जलाशय से ही मिला है. रिहंद जलाशय से पानी नहीं आ रहा है और उसके बारे में कहा जा रहा है कि वहां भी पानी की उपलब्धता काफी कम है.
कृषि विभाग के अनुसार, राज्य में बारिश नहीं होने के कारण धान और मक्का की खेती पर असर पड़ना अब तय माना जा रहा है. कहा जाता है कि आद्र्रा नक्षत्र में झमाझम बारिश होने के बाद धान की रोपनी होने के बाद धान की उपज अच्छी होती है, लेकिन आद्र्रा नक्षत्र गुजर जाने के बाद भी कहीं भी झमाझम बारिश नहीं हुई है. बिहार में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण सूखे की आशंका प्रबल हो गई है. रूठे मानसून के कारण किसान मायूस हो गए हैं. राज्य के पटना ग्रामीण, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, कैमूर, वैशाली, भागलपुर सहित कई ऐसे जिले हैं, जिनकी पहचान धान की अच्छी उपज के रूप में की जाती है, लेकिन इन जिलों में भी आवश्यकता से कम बारिश होने के कारण किसान मायूस हो गए हैं.
किसानों को इंद्रदेव का इंतजार : इधर, मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो राज्य में मानसून पहुंचने के बाद कमजोर पड़ गया, जिस कारण अच्छी बारिश नहीं हुई. इधर, किसान भी सूखे को देखकर हताश हैं. औरंगाबाद जिले के किसान श्याम जी बताते हैं कि अब तक धान की रोपाई की कौन कहे, धान के बिचड़े (पौध) को बचाने में ही किसान जुटे हैं. उपज की बात छोड़ दीजिए, इस वर्ष अगले वर्ष के लिए बिचड़े ही हो जाए वही किसानों के लिए बड़ी बात होगी.
बक्सर में भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के कारण जलस्तर काफी नीचे चला गया है. जिले में कृषि कार्य (Paddy Cultivation Affected In Buxar) प्रभावित हुआ है. कई ट्यूबेल और चापाकलों से पानी निकलना भी बंद हो गया है. खेतो में ही धान के बिचड़े सूखने लगे हैं. खेतों तक पानी पहुंचाने वाली नहरें खुद पानी के लिए तरस रही हैं. किसानो को एग्रीकल्चर फीडर से बिजली भी 24 घंटे में मात्र 5-6 घंटे ही मिल रही है. किसान लालबिहारी गोंड ने बताया कि, ''खेतों में ही बिचड़े सूखने लगे हैं. नहरों में पानी भी अब तक नहीं आया है. एग्रीकल्चर फीडर से बिजली भी ना के बराबर मिल रही है. पूरे जिले में सूखे की हालात हैं.''