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बिहार में शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से भी हुई कम- मंगल पांडेय

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने बताया कि स्वास्थ्य सूचकांक को बेहतर करने में शिशु मृत्यु दर में कमी लाना जरूरी होता है और कोरोना संक्रमण कि कई चुनौतियों के बावजूद बिहार सरकार ने शिशु स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सफलता दर्ज की है.

राज्य की शिशु मृत्यु दर देश की शिशु मृत्यु दर से कम
राज्य की शिशु मृत्यु दर देश की शिशु मृत्यु दर से कम

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Published : Oct 26, 2021, 10:51 PM IST

पटना:स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे(Health Minister Mangal Pandey) ने मंगलवार को बताया कि कोरोना संक्रमण (Corona Infection) काल में भी नवजात शिशु (New Born Baby) को सुरक्षित रखने के लिहाज से बिहार में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने बताया कि अब राज्य की शिशु मृत्यु दर देश की शिशु मृत्यु दर से 1 अंक कम हो गई है. देश का जहां 1 हजार बच्चों में शिशु मृत्यु दर 30 बच्चों की है. वहीं, प्रदेश में यह घटकर 1000 पर 29 शिशु मृत्यु दर रह गई है.

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स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे ने इस साल के अक्टूबर माह में नया बुलेटिन जारी किया है. इसके मुताबिक बिहार का शिशु मृत्यु दर देश के शिशु मृत्यु दर से कम मिला है. उन्होंने कहा कि- 'पिछले वर्ष के मई माह में सैंपल रजिस्ट्रेशन ने जो सर्वे आंकड़े जारी किए थे उसके मुताबिक 2017 में बिहार की शिशु मृत्यु दर 35 थी जो 2018 में घटकर 32 हुई और 2019 में यहां से बिहार की शिशु मृत्यु दर घटकर 29 आ गई है. कोरोना के वजह से रिपोर्ट को आने में समय लगा है लेकिन यह रिपोर्ट संतोषजनक है. पिछले 10 वर्षों में बिहार में शिशु मृत्यु दर में 23 अंकों की कमी आई है और साल 2009 में बिहार का शिशु मृत्यु दर जहां 52 था वहीं 2019 में घटकर 29 हो गया है.'

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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने बताया कि स्वास्थ्य सूचकांक को बेहतर करने में शिशु मृत्यु दर में कमी लाना जरूरी होता है और कोरोना संक्रमण कि कई चुनौतियों के बावजूद बिहार सरकार ने शिशु स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सफलता दर्ज की है. बिहार सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में नित्य नए सुधार कर रही है और अभी के समय नेता प्रतिपक्ष को ऐसी उपलब्धियों की प्रशंसा जरूर करना चाहिए ताकि बिहार के स्वास्थ्य कर्मी भी प्रेरित हो सकें.

उन्होंने कहा कि नवजात शिशुओं के सुरक्षा के लिए संपूर्ण टीकाकरण एवं नियमित स्तनपान तथा पोषण जैसे कारक महत्वपूर्ण है. स्वास्थ विभाग द्वारा चलाए जा रहे गृह आधारित नवजात देखभाल, लीवर कमजोर नवजात देखभाल कार्यक्रम, संस्थागत प्रसव, स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट सहित आवश्यक नवजात देखभाल कार्यक्रम भी काफी प्रभावी साबित हुए हैं.

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