पटना: विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja 2022) विद्यार्थी बड़ी धूम-धाम से करते हैं. हालांकि कोरोना संक्रमणके बीच मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में मूर्तिकार पिछले 1 महीने से अपने काम में जुटे हुए हैं. अब वे प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे हैं. एक तरफ कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देख राज्य सरकार ने नाइट कर्फ्यू (night curfew in bihar) लगाया है. धार्मिक स्थल, कोचिंग संस्थान, कॉलेज, स्कूल, पार्क, सिनेमा हॉल बंद कर दिये हैं. कोरोना संक्रमण के कारण मूर्तिकारों को पिछले साल भारी नुकसान उठाना पड़ा था.
त्योहारों पर मूर्तियों की बिक्री नहीं होने से मूर्तिकार कर्जे में डूबे हुए हैं. इस साल भी मूर्तिकारों को कोरोना ने चिंतित कर दिया है. कोरोना वायरस के कारण मूर्तिकारों ने पिछले साल की अपेक्षा इस साल कम मूर्तियां ही बनाई हैं पर बुकिंग नहीं होने से उनके सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न होने लगी है. मूर्तिकार पाई-पाई जोड़कर मूर्ति बनाने में लगा देते हैं. इस साल उनको उम्मीद थी कि मां सरस्वती की प्रतिमा को बेचकर स्थिति सुधार लेंगे लेकिन सरकार द्वारा अभी तक सरस्वती पूजा के आयोजन को लेकर के कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है. इस कारण पटना के मूर्तिकार मायूस (Maa Saraswati statue Booking in Patna) नजर आ रहे हैं.
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बता दें कि राजधानी पटना के विभिन्न चौक चौराहों पर मूर्तिकार मां शारदे की प्रतिमा बनाने का काम करते हैं. इस बार राजधानी पटना में बहुत कम जगह ही मूर्ति बनाने का काम हो रहा है. मूर्तिकारों को पहले से ही यह लग रहा था कि इस साल कोरोना के कारण मूर्ति की बिक्री कम होगी. इसके चलते उन्होंने कम मूर्तियां बनाने का निर्णय लिया. इस बार कोरोना के कारण अधिकतर छोटी प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है.
कुर्जी मोड़ के पास मां प्रतिमा बना रहे ललित पासवान ने बताया कि वह बचपन से यह काम करते आ रहे हैं. कभी ऐसा दौर नहीं आया जब ऐसी स्थिति हुई हो. उनका साफ तौर पर कहना है कि जो पूंजी इस बार लगाया है, वह भी निकलने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है. पिछले साल की तुलना में इस साल कम संख्या में मूर्तियां बनाई हैं. मूर्ति के दामों में भी कमी की गई है. इसके बावजूद मूर्ति की बुकिंग नहीं हो रही है.