रांची: बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में 5 फरवरी को सुनवाई होगी. दरअसल सीबीआई के अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने लालू यादव के पूरक शपथपत्र पर जवाब दायर करने के लिए समय की मांग की. जिसके बाद कोर्ट ने एक सप्ताह का समय दिया है. इससे पहले लालू प्रसाद की ओर से अदालत में जवाब पेश कर बताया गया था कि, उन्होंने 42 महीने की अवधि जेल में पूरी कर ली है, यह उन्हें दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में मिली सजा की आधी है. इसलिए उन्हें जमानत दी जाए.
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जेल में रहे 42 महीने
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की अदालत में पूर्व में बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सीबीआई के अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा था. अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने जमानत का विरोध किया था. उन्होंने कहा था लालू प्रसाद ने नियमानुसार 42 महीने की अवधि जेल में पूरी नहीं की है. इसी पर अदालत ने लालू प्रसाद के अधिवक्ता को जवाब पेश करने को कहा था और जवाब में यह बताने के लिए भी कहा था कि कब-कब आप इस मामले में जेल में रहे हैं. इसकी सत्यापित कॉपी जवाब के साथ पेश करें. इसी के आलोक में लालू प्रसाद के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने अदालत में निचली अदालत की सत्यापित कॉपी के साथ जवाब पेश किया था.
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लालू एम्स में भर्ती
बता दें कि लालू प्रसाद को चारा घोटाला के 4 मामले में निचली अदालत से सजा दी गई है. जिसमें 3 मामले में उन्हें जमानत मिल चुकी है. यह चौथा मामला है जिसमें जमानत मिलते ही वे जेल से रिहा हो जाएंगे. फिलहाल लालू प्रसाद की तबीयत खराब होने के कारण एम्स ले जाया गया है, वहीं इलाज करा रहे हैं. देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में उन्हें साढ़े 3 साल की सजा दी गई थी, जिसमें उन्हें पहले ही बेल दे दिया गया है. चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में उन्हें निचली अदालत से 5 साल की सजा दी गई थी. उस मामले में भी उन्हें जमानत दे दी गई है. अब अंतिम मामला दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामला का है. इसमें सीबीआई की निचली अदालत से 7 साल की सजा दी गई है.
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चारा घोटाला का पूरा मामला
27 जनवरी 1996 को पश्चिम सिंहभूम जिले में पशुधन विभाग पर तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे के छापे के दौरान पता चला कि चारा सप्लाई के नाम पर जिन कंपनियों को भुगतान किया गया था, उन कंपनियों का अस्तित्व ही नहीं था. जांच में अलग अलग कोषागारों से करीब 950 करोड़ रुपए का घोटाला पाया गया.
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