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कमला नेहरू शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव, मैन पावर की कमी से मरीज हो रहे परेशान

पटना के कमला नेहरू शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का ईटीवी ने जायजा लिया तो स्वास्थ्य केंद्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव दिखा. डॉक्टर शशि भूषण प्रसाद गुप्ता (Doctor Shashi Bhushan Prasad Gupta) ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्र में दवाएं उपलब्ध है लेकिन मैन पावर की कमी होने की वजह से मरीजों को कई बार यहां से बिना इलाज कराए निराश लौटना पड़ता है. पढ़ें पूरी खबर..

कमला नेहरू शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
कमला नेहरू शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

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Published : Apr 18, 2022, 8:50 PM IST

पटना:बिहार में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है और गर्मी को देखते हुए बिहार स्वास्थ्य विभाग (Bihar Health Department) ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट मोड पर रख दिया है. स्वास्थ्य केंद्र में तमाम व्यवस्थाएं सुदृढ़ कर लेने के निर्देश दिए गए हैं. सभी स्वास्थ्य केंद्रों में इमरजेंसी बेड भी उपलब्ध करने को कहे गए हैं. ईटीवी भारत की टीम पटना के सबसे बड़े स्लम इलाके कमला नेहरू शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Kamala Nehru Urban Primary Health Center) पहुंची तो देखा कि एसबेस्टस वाले दो छोटे कमरे और एक छोटे हॉल में पूरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है.

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स्वास्थ्य केंद्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव:पटना के इस स्वास्थ्य केंद्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव नजर आया और भीषण गर्मी में एसबेस्टस के नीचे अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे मरीज परेशान दिखे. हालांकि, अस्पताल में मौजूद चिकित्सक वहां मरीजों का परीक्षण और इलाज करते जरूर दिखे. ओआरएस, विटामिन सी, आयरन, जींक, पेरासिटामोल इत्यादि इमरजेंसी दवाइयां अस्पताल में मौजूद रहेगी और काउंटर से डॉक्टर प्रिसक्रिप्शन पर मरीजों को उपलब्ध भी कराया गया.

गर्मी बढ़ने पर बढ़ी मरीजों की संख्या:कमला नेहरू शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर शशि भूषण प्रसाद गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में सिर्फ वही एक चिकित्सक हैं और इसके अलावा 4 एएनएम और एक डाटा एंट्री ऑपरेटर है. गर्मी बढ़ने पर मरीजों की संख्या बढ़ी है और बीमार बच्चों की भी संख्या बढ़ी है. बच्चों में खासकर कीड़े की वजह से पेट दर्द और गर्मी की वजह से बुखार की शिकायत अधिक रह रही है.

स्वास्थ्य कर्मियों के पद रिक्त:डॉक्टर शशि भूषण प्रसाद गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्र में दवाएं उपलब्ध है लेकिन मैन पावर की कमी होने की वजह से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मरीजों को भी कई बार यहां से बिना इलाज कराए निराश लौटना पड़ता है. अस्पताल में 3 जीएनएम, 5 एएनएम, 2 डॉक्टर, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब टेक्नीशियन और 1 डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद सेंक्शन है. जिसमें 3 जीएनएम, 1 डॉक्टर, 1 एनएम, 1 फार्मासिस्ट और 1 लैब टेक्नीशियन के पद रिक्त हैं.

PHC में चिकित्सकों की कमी:डॉक्टर शशि भूषण प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उनके पास 4 एएनएम हैं और इसी में कोरोना टीकाकरण अभियान भी चल रहा है. बड़े स्लम बस्ती के बीच में यह स्वास्थ्य केंद्र है ऐसे में प्रतिदिन 60 से 70 की संख्या में मरीज देखे जाते हैं और टीकाकरण अभियान के कारण प्रतिदिन उन्हें अपने दो एएनएम और डाटा ऑपरेटर को वैक्सीनेशन अभियान के लिए स्कूलों में कैंपेन में भेजना पड़ता है. स्कूलों में चल रहे वैक्सीनेशन कैंपेन में उन्हें भी जाना पड़ता है, ताकि वह टीकाकृत बच्चों के स्वास्थ्य को जान सकें और ऐसे में स्वास्थ्य केंद्र से मरीजों को बिना दिखाएं लौटना पड़ता है, क्योंकि अस्पताल में एकलौते चिकित्सक वही हैं. जबकि यहां एक महिला चिकित्सक और कम से कम एक जीएनएम और एक लैब टेक्नीशियन की अति आवश्यकता है.

मशीन अस्पताल में फांक रही धूल: उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सरकार की तरफ से कुछ प्रकार के ब्लड जांच की सुविधा है जैसे कि सीबीसी जांच, मधुमेह जांच इत्यादि लेकिन लैब टेक्नीशियन ना होने की वजह से यह मशीन अस्पताल में यूं ही धूल फांक रहा है और 1 साल से अधिक समय से यह मशीन बंद है. उन्होंने बताया कि पहले यहां लैब टेक्नीशियन होते थे लेकिन कोरोना काल के समय उनकी प्रतिनियुक्ति दूसरी जगह हो गई है और उसके बाद से यह मशीन बंद है और गरीब लोगों को वह अस्पताल में जरूरी जांच भी नहीं करा पाते हैं.

मरीजों को हो रही परेशानी:उन्होंने कहा कि स्लम बस्ती है और महिलाओं की संख्या काफी अधिक है और महिलाओं को कई प्रकार की महिलाओं वाली जो समस्याएं होती हैं और वह उनके सामने खुलकर नहीं बता पाती हैं. ऐसे में यदि यहां एक खाली पड़े चिकित्सक के पद पर महिला चिकित्सक आती है तो निश्चित रूप से इलाके के लोगों को बेहतर सुविधा मिलेगी. स्वास्थ्य विभाग को इससे स्वास्थ्य केंद्र के भवन को बदलने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यहां जगह की घोर कमी है और मकान एसबेस्टस का है जिससे गर्मी के दिनों में उन्हें और तमाम स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ यहां आने वाले मरीजों को भी बहुत परेशानी होती है.

बता दें कि कोर्ट का ऐसा आदेश है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर फार्मासिस्ट मरीजों को प्रिसक्राइब की गई दवाइयां देंगे, लेकिन फार्मासिस्ट की कमी के वजह से अस्पताल में डॉक्टर के प्रिसक्राइब किए गए पर्चे पर एएनएम और डाटा एंट्री ऑपरेटर दवाइयां दे रहे हैं. इस पर चिकित्सकों का कहना है कि मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया जाता है कि एएनएम और डाटा ऑपरेटर से लोगों को दवा दिलवाई जाए, क्योंकि फार्मासिस्ट के अभाव में अस्पताल में दवा रहते हुए भी यदि मरीज को दवा ना मिले तो यह अनुचित होगा.

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