पटना:आमतौर पर खेलो को कैरियर से जोड़ करके देखा जाता है. मगर कराटे जैसे खेलों में यह बात दूसरी प्राथमिकता में आ जाती है. वर्तमान में राजधानी पटना के युवक और युवतियां कराटे सीखने में काफी दिलचस्पी दिखा रही हैं. कराटे सीखने वालों की पहली प्राथमिकता आत्मरक्षा और फिटनेस है. समाज में छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अभिभावक भी लड़कियों को कराटे सिखाने के प्रति काफी ज्यादा जागरूक दिख रहे हैं. लड़कियां खुद आगे निकल कर आ रही है और पटना के कराटे ट्रेनर से कराटे सीख रही हैं.
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कराटे सीख रहे युवक और युवतियों का कहना है कि कराटे सीखने से आत्म सुरक्षा की जा सकती है. सभी लोगों को आत्म सुरक्षा के लिए कराटे सीखना चाहिए. साथ ही साथ कोरोना को ध्यान में रखते हुए फिट रहने के लिए भी यह बेहद जरूरी है. इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल है कि बिहार के युवक और युवतियां हर क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन सही प्लेटफॉर्म नहीं मिलने के कारण बिहार में कराटे का भविष्य (Future of Karate in Bihar) का सपना भी टूट जाता है.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कई कराटे खिलाड़ी जो नेशनल और इंटरनेशनल खेल चुके हैं, उन्होंने साफ बताया की सेल्फ डिफेंस के लिए कराटे सीखते हैं. कराटे सीखने से फिटनेस भी रहती है. लेकिन, इन खिलाड़ियों का कहना है कि सरकार के तरफ से थोड़ा सपोर्ट मिल जाए तो हम लोग काफी अच्छा प्रदर्शन करके बिहार ही नहीं बल्कि देश का भी नाम रोशन करेंगे. बिहार में खास करके इन खिलाड़ियों पर राज्य सरकार ध्यान नहीं दे रही है, जिसका नतीजा है कि यह बच्चे अपने बलबूते पर ट्रेनिंग प्राप्त कर प्रदर्शन कर रहे हैं और नेशनल इंटरनेशनल खेल में भाग लेते हैं.
''बच्चे बढ़-चढ़कर कराटे सीखने के लिए हिस्सा ले रहे हैं. बच्चों को सही ढंग से प्लेटफार्म या ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है, जिससे कि बच्चे नेशनल और इंटरनेशनल में अपनी प्रतिभा को दिखा सकें. कराटे सीखने और सिखाने के लिए मिट्टी होनी चाहिए, लेकिन मजबूरन इन बच्चों को सड़क पर कंक्रीट पर कराटे सिखाना पड़ रहा है.''-अमित रंजन, कराटे ट्रेनर