पटना:देश भर में ठनका गिरने से भारी संख्या में मौतें होती हैं. प्रत्येक वर्ष बिहार में आसमानी बिजली गिरने की वजह से सैकड़ों लोगों की मौतें होती हैं. दक्षिण बिहार में ठनका गिरने की घटनाएं (Incidents of lightning in Bihar) अधिक होती हैं. ऐसे में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ठनका गिरने की घटनाओं को कम (jugaad technique will reduce lightning deaths) करने को लेकर एक देसी तकनीक इजाद किया है. इस तकनीक के बारे में प्रत्येक जिले के सैकड़ों वॉलंटियर को प्रशिक्षित भी किया गया है.
200 मीटर है रेंज: वॉलंटियर को बताया जा रहा है कि कैसे ठनका गिरने से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है और यह जुगाड़ का उपकरण कितनी आसानी से बनाया जा सकता है. दरअसल इस तकनीक में साइकिल की रिंग में कॉपर वायर बांधकर बांस के सहारे उसे जमीन में गाड़ दिया जाता है. ऐसे में जो आसमानी बिजली, जिसे ठनका कहते हैं, वह जब गिरती है तो यह उपकरण 200 मीटर तक के दायरे में गिरने वाले ठनका को अपने में एबजार्व कर लेता है और उसे सीधे जमीन में डाल देता है.
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बिहार में ठनका गिरने की घटनाएं सर्वाधिक: बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Bihar State Disaster Management Authority) से इस तकनीक में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके सामुदायिक वॉलंटियर बाल कृष्ण ने बताया कि यह जुगाड़ तकनीक का लाइटिंग कंडक्टर है. बिहार में ठनका गिरने की घटनाएं सर्वाधिक होती हैं. ऐसे में यह लाइटिंग कंडक्टर अपने आसपास के रेंज में 200 मीटर के दायरे में गिरने वाले आसमानी बिजली को अपनी तरफ खींच लेता है और इसे अर्थिंग में डाल देता है. इसको बनाने के लिए साइकिल का रिंग, कॉपर वायर नमक और कोयला का इस्तेमाल किया जाता है.
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