पटना:अग्नीपथ योजनाकेंद्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतरे हैं, राजनीतिक दल भी युवाओं के समर्थन में उतर आए हैं. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने अपने स्टैंड से केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी (Jitan Ram Manjhi Targeted Government) है. उन्होंने केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि सरकार युवाओं के भावना को समझे. कृषि बिल को जिस तरह सरकार वापस ली थी, उसी तरह इस योजना को सरकार तुरंत वापस ले.
ये भी पढ़ें-Bihar Bandh : 'अग्निपथ' पर आक्रोश.. रेलवे स्टेशन-पुलिस वाहन फूंके, जानें दिनभर कैसा रहा असर
'अग्नीपथ योजना देश हित में नहीं' :केंद्र सरकार की अग्नीपथ योजना को लेकर भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेता इसको शीघ्र लागू करने की वकालत कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ छात्रों का आंदोलन और उग्र होता जा रहा है. तमाम राजनीतिक दल भी छात्रों के समर्थन में उतर आए हैं. बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सहयोगी पार्टी हम ने भी इस मुद्दे पर भाजपा का साथ छोड़ दिया है.
'केंद्र सरकार को जिद नहीं करना चाहिए, जिद का नतीजा कृषि कानून में स्पष्ट तौर पर देखा जा चुका है. केंद्र सरकार को तत्काल अग्निपथ योजना को वापस लेना चाहिए और छात्रों को विश्वास में लेकर काम करना चाहिए. अगर सरकार फैसले लेने में देरी करेगी तो देश को बड़ी क्षति होगी.'- जीतनराम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री सह HAM प्रमुख
'अंग्निपथ स्कीम' से क्यों नाराज है छात्र : दरअसल, 2020 से आर्मी अभ्यर्थियों की कई परीक्षाएं हुई थी. किसी का मेडिकल बाकी था तो किसी का रिटेन. ऐसे सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द कर दी गई. पहले ये नौकरी स्थाई हुआ करती थी. मतलब सरकारी नौकरी का ख्वाब इससे नौजवान पूरा करते थे. नई स्कीम की तहत बताया गया कि अब चार साल की नौकरी होगी. इसमें सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा. 75 प्रतिशत चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे. उनको पेंशन समेत बाकी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. बिहार जैसे राज्य में जहां ज्यादातर युवाओं का एक ही लक्ष्य कह लीजिए या सपना सरकारी नौकरी होता है, ऐसे में सपना टूटता देख छात्र सड़कों पर उतर गए.