पटना: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव पर सबकी नजर है. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की अगुवाई में वहां फिलहाल बीजेपी (BJP) की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है. पार्टी एक बार फिर से यूपी विधानसभा चुनाव(UP Assembly Elections) में पूरी ताकत लगा रही है. वहीं बिहार में उसकी सहयोगी जेडीयू (JDU) ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. कोशिश बीजेपी के साथ गठबंधन बनाने की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इसके लिए केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) को जिम्मेदारी सौंपी है. हालांकि बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर अभी तक कुछ भी स्थिति साफ नहीं है, लेकिन दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत हुई है. जेडीयू ने बिहार से सटे यूपी की विधानसभा सीटों की सूची तैयार करनी भी शुरू कर दी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) का साफ कहना है कि सम्मानजनक समझौता होने पर ही गठबंधन होगा.
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जेडीयू का बीजेपी के साथ बिहार में पिछले दो दशक से गठबंधन है और सरकार भी चल रही है. बिहार के बाहर बीजेपी के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन हुआ था, लेकिन अब उत्तर प्रदेश पर जेडीयू की नजर है. पार्टी चाहती है कि बीजेपी के साथ उत्तर प्रदेश में भी गठबंधन हो जाए. पिछले दो दशक से राष्ट्रीय पार्टी बनने की कोशिश हो रही है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है. इसलिए उत्तर प्रदेश की कम से कम 13 सीटों पर चुनाव लड़ना जेडीयू के लिए मजबूरी है. इसलिए पार्टी 15 सीटों पर बीजेपी के साथ गठबंधन हो जाए, इसकी कोशिश में लगी है. ऐसे में यदि गठबंधन नहीं होता है तो जेडीयू अपने दम पर चुनाव लड़ने की भी तैयारी कर रहा है.
"बीजेपी से गठबंधन के लिए केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को बातचीत की जिम्मेवारी दी गई है. अगर बीजेपी से सम्मानजक समझौता हुआ तो ठीक, नहीं तो अपने स्तर से उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की हमारी पूरी तैयारी है"- ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू
इस बारे में बिहार बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस मामले को देख रहा है. जेडीयू हमारी सहयोगी पार्टी है. निश्चित ही पार्टी कोई फैसला लेगी. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में फिर से बीजेपी की सरकार बनना तय है, क्योंकि उत्तर प्रदेश को उन्होंने पूरे देश में सबसे विकसित प्रदेश बनाने का काम किया है.
"केंद्रीय नेतृत्व इस मामले को देख रहा है और जदयू हमारी सहयोगी पार्टी है तो निश्चित ही पार्टी कोई फैसला लेगी. ऐसे योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में यूपी में फिर से बीजेपी की सरकार बनेगी"- विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी
वहीं, विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास का कहना है कि जेडीयू राष्ट्रीय पार्टी बनने की कोशिश कर रही है. हर दल चाहता है कि उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिले और इसलिए यूपी में पार्टी किस्मत आजमाना चाहती है. यह अच्छी पहल होगी, क्योंकि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में लंबे समय से सरकार है और यूपी पड़ोसी राज्य है तो निश्चित रूप से यहां के कामकाज का असर वहां पड़ेगा. जिसका लाभ जेडीयू को मिल सकता है.
दरअसल, 2017 में भी जेडीयू ने चुनाव लड़ने की तैयारी की थी, लेकिन बाद में फैसला बदल दिया. अभी बंगाल चुनाव में भी पार्टी ने किस्मत अजमाई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि नीतीश कुमार शराबबंदी, महिला आरक्षण, सात निश्चय योजना और सुशासन की छवि को लेकर यूपी में जाएंगे, लेकिन पिछड़ा और अति पिछड़ा कार्ड भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उत्तर प्रदेश में नीतीश कुमार की कुर्मी वोट बैंक वाली सीटों पर भी नजर है. 16 जिलों में कुर्मी और पटेल वोट बैंक 6 से 12 फीसदी तक है. इसमें इलाहाबाद, सीतापुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले प्रमुख हैं. बिहार से सटे पूर्वांचल पर नीतीश कुमार की खास नजर है ऐसे यूपी में कुर्मी वोट बैंक की बात करें तो 9 से 10 फीसदी के आसपास है. वहां अपना दल इन वोटों पर दावा करता रहा है और एक समय नीतीश कुमार ने अपना दल के साथ समझौता भी किया था, लेकिन उसका कुछ लाभ मिला नहीं.
जेडीयू यूपी के प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह पटेल राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पटना आए थे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी. अनूप सिंह पटेल का कहना था कि जेडीयू वहां कई सीट इस बार जीत सकता है. बीजेपी भी इन सब चीजों को परख रही है.
यूपी में जातीय गणित की बात करें तो कुर्मी और पटेल 9 फीसदी, अन्य पिछड़ी जातियां 7 प्रतिशत, यादव 12, सवर्ण 18, एससी-एसटी 20, विश्वकर्मा 2, मल्लाह 4, जाट 5 और मुस्लिम 18 फीसदी के आसपास है. बिहार में कुर्मी वोट बैंक पर नीतीश कुमार की पकड़ है. बीजेपी के साथ कई सालों की दोस्ती भी है. जब सहयोगी दल एक-एक कर बाहर चले गए हैं, उसके बावजूद जेडीयू अभी भी बीजेपी के साथ है. गठबंधन होने का यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है.
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जेडीयू की नजर बिहार से सटे उत्तर प्रदेश की सीटों पर है. उत्तर प्रदेश का बिहार से सटे विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी भी कर रहा है. अगले साल उत्तर प्रदेश की 403 सीटों पर होने वाले चुनाव में से जेडीयू ने 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. यूपी के प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने ऐलान किया था. हालांकि पार्टी ने इस पर अपना कोई रुख स्पष्ट नहीं किया, लेकिन अब पूरी कोशिश है कि बीजेपी के साथ कुछ सीटों पर ही गठबंधन हो जाए. जिससे पार्टी का वहां खाता खुल सके. बिहार के अलावे अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू को राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए दो और राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना जरूरी है, ऐसे में यूपी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.