पटना:बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग जेडीयू की पुरानी मांग है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना से लेकर दिल्ली तक आंदोलन कर चुके हैं, रैली कर चुके हैं और हस्ताक्षर अभियान भी चला चुके हैं. चुनाव के समय यह मांग जरूर जोर पकड़ता रहा है, लेकिन इस बार जब से जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी बनी है और नीति आयोग की रिपोर्ट ने बिहार को फिसड्डी बताया है तब से जेडीयू ने इस मांग को एक बार फिर से जोर शोर से उठाना शुरू कर दिया है.
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सोशल मीडिया पर भी विशेष दर्जे की मांग को लेकर जेडीयू की तरफ से अभियान चलाया जा रहा है और इसकी कमान खुद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह(Lalan Singh On Special Status To Bihar) ने संभाली है, लेकिन जेडीयू ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा (JDU targets Central Government ) है. बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार से जेडीयू न्याय की गुहार लगा रहा है. जेडीयू की तरफ से सोशल मीडिया पर बिहार के साथ केंद्र ने अब तक न्याय नहीं किया है, बिहार को भीख नहीं और ना ही कर्ज चाहिए बल्कि बिहार को न्याय चाहिए जैसे स्लोगन सोशल मीडिया में खूब घूम रहे हैं. जेडीयू की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि ये हमारी पुरानी मांग है और देश के विकास के लिए बिहार का विकास होना जरूरी है.
''रघुराम राजन कमेटी ने जो सुझाव दिया था ऐसा नहीं है कि वह अंतिम सत्य है, जो मानक है विशेष राज्य के दर्जे के लिए केंद्र सरकार को उसमें बदलाव करना चाहिए. बिहार भी पंजाब और अन्य विकसित राज्यों की तरह खड़ा होना चाहता है. हमारा यह अभियान लगातार चलता रहा है और आगे भी चलेगा. हमें पूरी उम्मीद है कि एक दिन बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जरूर मिलेगा.''-वशिष्ठ नारायण सिंह, वरिष्ठ नेता, जेडीयू
विशेष राज्य के दर्जे को लेकर बीजेपी के नेता भी बयानबाजी करते रहे हैं. खासकर जेडीयू की तरफ से जिस प्रकार से प्रधानमंत्री को टैग कर मांग की जा रही है. उस पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आपत्ति जताते रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का तो यहां तक कहना है कि ''कुछ पार्टियां अंदरूनी कलह भुलाने के लिए इस तरह का नाटक कर रही हैं. हमारे प्रदेश अध्यक्ष ने तो सुझाव दिया है कि जेडीयू को सही तरीका अपनाना चाहिए, बीजेपी भी साथ देगी.''