पटना:सुप्रीम कोर्ट के CJI एनवी रमना ने हाल ही में बिहार में शराबबंदी कानून का (Liquor Ban Law In BIhar) हवाला देते हुए इसे किसी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी का उदाहरण बताया था. इसके बाद मुख्य विपक्षी दल राजद ने एक बार फिर शराबबंदी काननू पर सवाल खड़े किये हैं. वहीं, अब JDU ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की टिप्पणी पर कहा कि उनका बयान उचित नहीं है.
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून के बाद हालत यह है कि पटना हाइकोर्ट में जमानत की याचिका पर एक-एक साल पर सुनवाई के लिए आती है. ऐसे में CJI के बयान के बाद इस पर सियासी बयानबाजी तेज हो गयी है. जहां एक ओर विपक्षी पार्टियां नीतीश के इस अभियान को लेकर सवाल खड़े करने शुरू कर दिये हैं. वहीं, जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा है कि देश मुख्य न्यायाधीश का यह बयान उचित नहीं है.
जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि अगर इस तरह न्यायपालिका और विधायिका ऐसे मामले में उलझेगी तो समाज पर इसका असर पड़ेगा. 243 विधायक और 75 विधान पार्षद के सहमति के बाद बिहार में शराबबंदी कानून बनाया गया है. ऐसे में इसको लेकर ऐसा कुछ कहना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून से पहले से भारत के न्यायालयों में 4 लाख से ज्यादा मामले पेंडिंग हैं. ये कोई नई बात नही है. शराबबंदी कानून के बाद ही ऐसी बात हुई है, ये कहना कहीं से उचित नहीं है.
शराबबंदी कानून बिहार में लागू है. मुख्यमंत्री इसे समाज सुधार का एक अभियान बनाए हुए हैं. इसका राज्यभर में भी असर दिख रहा है. फिर किस तरह लोग इस कानून को लेकर तरह-तरह की बात करते हैं. लोग इस कानून का समर्थन करें ताकि राज्य में एक अच्छे समाज का निर्माण हो. :- अजय आलोक, जदयू प्रवक्ता