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बीजेपी विधायक बचौल के बयान पर जदयू का तीखा तेवर, कहा- प्रधानमंत्री के भावना के विरुद्ध बोली बात - पीएम मोदी की भावना

बिहार में शराबबंदी पर (Liquor Ban in Bihar) बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल (MLA Hari Bhushan Thakur) ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है. उनके बयान पर अब बिहार में सियासी बयानबाजी शुरू हो चुकी है. जदयू प्रवक्ता ने इस बयान को पीएम मोदी की भावना के विरुद्ध बताया है.

जदयू मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार
जदयू मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार

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Published : Nov 23, 2021, 10:20 PM IST

पटनाःबिहार में शराबबंदी ( Liquor Ban in Bihar ) पर खूब सियासत हो रही है. बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ( MLA Hari Bhushan Thakur ) के बयान पर अब बवाल मचना शुरू हो चुका है. जदयू प्रवक्ता ने इसकी निंदा करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि उनका बयान पीएम मोदी की भावना के विरुद्ध है. बीजेपी भी इस सामाजिक अभियान में साथ थी.

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'350वें प्रकाश पर्व में बीजेपी के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी के फैसले पर बधाई दी थी. सभी संगठनों और दलों को इसमें मदद करने का आग्रह किया था. बीजेपी विधायक का बयान प्रधानमंत्री के भावना के विरुद्ध है. बीजेपी ने इस सामाजिक अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. विधानसभा में सबने संकल्प लिया था. मानव श्रृंखला में भी सबने भाग लिया था. ऐसे में इस तरह का बयान कहीं से उचित नहीं है.'-नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू

जदयू मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का बयान

जानकारी दें कि बीजेपी विधायक ने बयान दिया है कि जब प्रधानमंत्री कृषि कानून को वापस ले सकते हैं, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी शराबबंदी कानून को वापस लेना चाहिए. उसके पीछे उन्होंने तर्क भी दिया है. इसको लेकर बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा होनी शुरू हो चुकी है.

बीजेपी विधायक ने कहा कि जिस तरह से इस कानून में इंजीनियर और डॉक्टर पकड़े जा रहे हैं. पुलिस वाले खुलेआम शादी विवाह में जाकर छापेमारी कर रहे हैं. इससे बिहार के बारे में गलत संदेश अन्य राज्यों में जा रहा है. कहीं न कहीं मुख्यमंत्री को उसके बारे में विचार करना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब इतना अच्छा कृषि कानून वापस लिया जा सकता है तो फिर शराबबंदी कानून वापस क्यों नहीं लिया जा सकता है.

कुल मिलाकर देखें तो बीजेपी विधायक ने शराबबंदी कानून पर कई तरह की बातें कही है और स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस कानून के रखवाले ही शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. मुख्यमंत्री इस बात को जान रहे हैं और जिस तरह की गतिविधि बिहार पुलिस कर रही है, इसकी चर्चा अन्य राज्यों में हो रही है. इससे बिहार से गलत संदेश जा रहा है. निश्चित तौर पर शराबबंदी कानून बिहार से वापस होनी चाहिए.

बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा किया था. इसका एक उद्देश्य घरेलू हिंसा को रोकना था. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपना वादा निभाया. एक अप्रैल 2016 बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत बिहार में शराबबंदी लागू कर दी गई. तब से सरकार के दावे के बावजूद शराब की तस्करी और बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इसका प्रमाण शराब की बरामदगी और इस धंधे से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी है.

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