पटना:राष्ट्रीय जनता दल(Rashtriya Janata Dal) 10 वर्ष से ज्यादा वक्त तक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में देश के चुनिंदा दलों में शुमार था लेकिन आज हालत यह है कि बिहार और झारखंड के अलावा किसी दूसरे राज्य में पार्टी का ना तो कोई विधायक है और ना ही सांसद. पश्चिम बंगाल के बाद अब यूपी में भी आरजेडी दूसरे दलों के पीछे चलने को मजबूर है. पार्टी के पुराने नेता और प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने बताया कि वर्ष 2009 तक आरजेडी को चुनाव आयोग की तरफ से राष्ट्रीय पार्टी के रूप में दर्जा प्राप्त था. तब राष्ट्रीय जनता दल के 24 सांसद थे. कई राज्यों में पार्टी चुनाव लड़ती थी. बिहार और झारखंड के अलावा नागालैंड और मणिपुर में चुनाव लड़कर पार्टी को निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित मत भी हासिल हुए थे. इसके आधार पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था.
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चितरंजन गगन के मुताबिक दिल्ली, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक और अरुणाचल प्रदेश में पार्टी के विधायक रहे हैं, जबकि बिहार, झारखंड और कर्नाटक में पार्टी के सांसद भी रहे हैं. बिहार और झारखंड समेत देश के 26 राज्यों में पार्टी का अपना संगठन है, जिनमें से 24 राज्यों में सांगठनिक चुनाव के आधार पर आरजेडी का संगठन काम भी कर रहा है. वहीं इस बारे में आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी कहते हैं कि निश्चित तौर पर चाहे झारखंड हो या कोई और राज्य, पार्टी का विस्तार पहले ज्यादा था लेकिन अब वर्तमान परिदृश्य में सेकुलर पार्टीज को एक साथ आना जरूरी है. वे ये भी कहते हैं कि अगर किसी पार्टी का एक या दो विधायक किसी राज्य में होते हैं तो अक्सर देखने को मिलता है कि वह बड़ी पार्टी के साथ विलय कर लेता है.
"निश्चित तौर पर चाहे झारखंड हो या कोई और राज्य, पार्टी का विस्तार पहले ज्यादा था लेकिन अब वर्तमान परिदृश्य में सेकुलर पार्टीज को एक साथ आना जरूरी है. वे ये भी कहते हैं कि अगर किसी पार्टी का एक या दो विधायक किसी राज्य में होते हैं तो अक्सर देखने को मिलता है कि वह बड़ी पार्टी के साथ विलय कर लेता है. इसलिए अब क्षेत्रीयों दलों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करना आसान नहीं रह गया है"- शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आरजेडी
वहीं, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद का कहना है कि ये सच है कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) की अगुवाई में एक जमाने में पार्टी की स्थिति काफी बेहतर थी लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) के आगे बढ़ने के बाद पार्टी कमजोर हुई है और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का अब कोई नामोनिशान नहीं बचा है. आरजेडी अब केवल बिहार और झारखंड तक सिमट कर रह गई है. उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से आरजेडी एक परिवार और पॉकेट की पार्टी है. यह सिर्फ दिखावे के लिए दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ती है ताकि इनकी मार्केट वैल्यू बना रहे.
"जब लालू यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और रंजन यादव भी पार्टी से जुड़े हुए थे, तब आरजेडी की स्थिति बेहतर थी लेकिन तेजस्वी यादव के आगे बढ़ने के बाद पार्टी कमजोर हुई है और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का अब कोई नामोनिशान नहीं बचा है. यह सिर्फ बिहार और झारखंड तक सिमट कर रह गई है. मुख्य रूप से आरजेडी एक परिवार और पॉकेट की पार्टी है. यह सिर्फ दिखावे के लिए दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ती है ताकि मार्केट वैल्यू बना रहे"- निखिल आनंद, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी