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कोरोना संकट के बावजूद बढ़ा बिहार के बजट का आकार.. लेकिन उद्यमियों ने जताई निराशा, जानें क्यों?

कोरोना संकट काल के बावजूद बिहार के बजट का आकार बढ़ा है. पिछले बजट की तुलना में विभागों पर बजट की राशि बढ़ाई गई है, लेकिन बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से जुड़े उद्यमी उद्योग विभाग के बजट (Industry Department Budget 2022) को निराशाजनक बता रहे हैं. उनका कहना है कि उद्योग क्षेत्र से जितनी उम्मीदें थी, उस लिहाज से बजट निराशाजनक है. पढ़ें रिपोर्ट..

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Published : Feb 28, 2022, 7:15 PM IST

पटनाःबिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद (Finance Minister Tarkishore Prasad) ने वित्तीय वर्ष 2022-23 का आम बजट सोमवार को विधानसभा में पेश किया. इस बार का बजट 237691.91 करोड़ रुपये का है. बजट में इस बार उद्योग विभाग के लिए 1643.74 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है, जो पिछले बजट 1285.17 करोड़ से लगभग 360 करोड़ रुपए अधिक है. बजट को लेकर लोगों की तरह-तरह की राय है, लेकिन प्रदेश के उद्योगपतियों (Industrial sector Disappointed with Bihar budget) ने कहा कि यह बजट उम्मीदों के मुताबिक नहीं है.

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बजट के बारे में उद्योगपतियों से प्रतिक्रिया लेने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन पहुंचे, जहां उन्होंने कई लोगों से इस संबंध में बात की. उद्योगपतियों का कहना है कि उद्योग क्षेत्र के लिए बजट में और अधिक राशि का प्रावधान होना चाहिए था. इस क्षेत्र के लिए कम से कम 3 हजार करोड़ रुपये दी जानी चाहिए थी. हालांकि कोरोना के बावजूद बजट की राशि बढ़ाए जाने पर उन्होंने सरकार की सराहना की.

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बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी आशीष सौहार्दी ने बताया कि यह बजट सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर के हिसाब से ठीक है लेकिन उद्योग क्षेत्र के लिहाज से लोगों के एक्सपेक्टेशन से काफी कम है. उद्योग क्षेत्र के लिए बजट के 3000 से 4000 करोड़ रुपए के बीच के अनुमान पर पानी फिर गया है. उम्मीदें थी कि इंडस्ट्री को इंसेंटिव मिलेगा और इंसेंटिव मिलने से रोजगार के अवसर भी अधिक बढ़ेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

बिहार में औद्योगिक विकास के लिए बिहार के उद्यमी और उद्योगपति लगातार मेहनत कर रहे हैं. उद्योगपति मानते हैं कि सोशल एस्पेक्ट्स के अनुसार यह एक बैलेंस बजट है लेकिन उद्योग क्षेत्र के लिहाज से बजट से उन्हें काफी निराशा हुई है.

बजट के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष केपीएस केसरी ने बताया कि कोरोना के कारण उत्पन्न विषम परिस्थितयों में बजट का आकार बढ़ा है, यह सराहनीय है. लेकिन उद्योग के लिहाज से बजट का आकार और बड़ा होना चाहिए था. खासकर तब जब कई नई योजनाएं आई हैं. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना जिसमें 16 हजार करोड़ लोगों को मदद देने की बात की गई है. योजना के फर्स्ट फेज में 1600 करोड़ का कॉरपस बनाया गया है और 800 करोड़ खर्च करने की बात कही गई है.

केपीएस केसरी कहती हैं कि जब सरकार घोषणाएं करती है कि उद्योगपतियों को सब्सिडी देंगे. उद्योग क्षेत्र के लिए सब्सिडी देंगे और जहां कहीं मदद की आवश्यकता होती है मदद करेंगे. लेकिन जब यह सहायता देने की बात आती है तब उसके लिए बजट का प्रोविजन सफिशिएंट नहीं रहता है.

सरकार चाहे या ना चाहे लेकिन उद्यमियों को वह पैसा मिलता नहीं है. पिछले चार-पांच साल की स्थिति देखें तो लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये ही मदद के तौर पर दिए गए हैं. अगर यही करना है तो सरकार को बजट में घोषणा कर देना चाहिए कि उद्योग पतियों को किसी भी प्रकार का कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी.

वहीं, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट अरविंद सिंह ने कहा कि उद्योग क्षेत्र के लिए सरकार की जो घोषणाएं हैं, (साल 2011-12 और 2015-16 की पॉलिसी) सरकार को चाहिए कि इसे पूरा किया जाए. इन्हें पूरा नहीं करने पर बिहार के साथ ही दूसरे प्रदेशों के उद्यमियों पर भी गलत मैसेज जाता है.

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