नालंदा: जिले के प्रभारी मंत्री शैलेश कुमार की अध्यक्षता में जल जीवन हरियाली अभियान की मौजूदा स्थिति पर विचार करने के लिए जिला स्तरीय बैठक की गई. इस मौके पर डीएम योगेन्द्र सिंह ने जल जीवन अभियान की वस्तुस्थिति की जानकारी मंत्री को दी. मंत्री की मौजूदगी में ही जल जीवन हरियाली अभियान के संचालन के लिए परामर्शदात्री समिति का गठन किया गया. जिसके संयोजक जिला पदाधिकारी होंगे.
जल जीवन हरियाली बिहार सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है. इसको पूरा करने के लिए शासन प्रशासन पूरी तरह से प्रयासरत है. बिहार के वन आच्छादित क्षेत्र को 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 से 18 प्रतिशत करने की कोशिश की जा रही है. ताकि जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे पर्यावरण संकट को दूर करने की दिशा में अहम कड़ी साबित हो.
जानकारी देते प्रभारी मंत्री पांच हजार सार्वजनिक जल संरचनाएं चिन्हित
इस अभियान के तहत करीब पांच हजार सार्वजनिक जल संरचनाओं को चिन्हित किया गया है. सभी जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. जिसके लिए कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है. 1 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार लघु जल संसाधन विभाग के माध्यम से तथा 1 एकड़ से कम वाले जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार ग्रामीण विकास विभाग के जरिए मनरेगा के तहत कराया जा रहा है.
प्रभारी मंत्री ने जल जीवन हरियाली पर की बैठक, अभियान को गति देने के दिए निर्देश चरणबद्ध तरीके से होगा कुओं का जीर्णोद्धार
जिले में करीब 2500 सार्वजनिक कुओं को चिन्हित किया गया है. सभी कुओं का चरणबद्ध तरीके से जीर्णोद्धार किया जाएगा. प्रत्येक कुओं के पास चबूतरे का निर्माण पानी, खींचने की व्यवस्था भी की जाएगी. चापाकल और नलकूपों का भी निर्माण कराया जाएगा. छोटी-छोटी नदियों के जल संरचना का निर्माण कराया जाना है. नदियों और नालों के जल संग्रहण क्षेत्र में चेकडैम जल संचयन की अन्य संरचना का निर्माण भी किया जाना है. नए जल स्त्रोतों के सृजन के लिए भी कार्यवाही की जा रही है.
निजी क्षेत्र में पोखर निर्माण के लिए मिलेगा 40 प्रतिशत रुपया
निजी क्षेत्रों में पोखर के निर्माण के लिए सरकार के द्वारा 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. इस अभियान के तहत राज्य में अधिक से अधिक वृक्षारोपण तथा सरकारी भूमि पर पौधशाला का सृजन किया जाना है. वृक्षारोपण के लिए प्रत्येक पंचायत में करीब दो से ढाई हजार वृक्ष लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. वृक्षारोपण के लिए स्थल को चिन्हित किया जा रहा है. साथ ही लगाए जाने वाले पौधों की संख्या और प्रजाति का भी निर्धारण किया जा रहा है.