पटना: गुरुवार से मोदी सरकार की दूसरी पारी शुरू होने वाली है. नरेंद्र मोदी के साथ उनका मंत्रिमंडल शपथ लेगा. हालांकि इस बार राज्य और देश के कई नामचीन चेहरे संसद में नजर नहीं आएंगे. इनमें मधुबनी के पूर्व सांसद हुकुमदेव नारायण यादव का नाम चर्चा में शामिल है.
संसद में नजर नहीं आएंगे हुकुमदेव
प्रखर वक्ताओं में शामिल पद्म भूषण सम्मान से नवाजे गए हुकुमदेव को सुनने के लिए संसद में लोग काफी उत्साहित हुआ करते थे. वे पांच बार सांसद बने. सोशलिस्ट नेता के रुप में उन्होंने अपनी छवि बनाई. पहली बार 1977 में वे लोकसभा में पहुंचे थे.मधुबनी का प्रतिनिधित्व करने वाले इस नेता ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा था.
कई सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं हुकुम कई नामचीन चेहरे होंगे गायब
इसके अलावा राष्ट्रीय राजनीति की बात करें तो भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन, सुषमा स्वराज, कांग्रेस के सदन में नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे और उपनेता ज्योतिरादित्य सिंधिया वहीं पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा भी इस बार सदन में नजर नहीं आएंगे.
सबसे बुजुर्ग सांसद बनते-बनते रह गए आडवाणी
बीजेपी के वरिष्ठ नेता 91 वर्षीय आडवाणी 1991 से गांधीनगर सीट से चुनाव जीतते आ रहे थे. उन्होंने यहां से लगातार पांच बार जीत दर्ज की. अगर आडवाणी इस बार भी चुनाव लड़ते तो वह सबसे बुजुर्ग सांसद हो सकते थे. उनसे पहले जदयू के रामसुंदर दास ने हाजीपुर से 2009 में 88 साल की उम्र में चुनाव जीता था और वह 93 की उम्र तक सांसद रहे. आडवाणी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 में रथयात्रा निकालने के लिए याद किया जाता है. उन्होंने उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री पद भी संभाला था.
बीजेपी के इन दिग्गजों ने भी नहीं लड़ा चुनाव
- आडवाणी के अलावा जोशी, महाजन, शांता कुमार, कलराज मिश्र, भगत सिंह कोश्यारी इस बार चुनाव नहीं लड़े.
- मुरली मनोहर जोशी 2014 में कानपुर से चुनाव जीते थे.
- 1991 से 1993 के बीच वे भाजपा के अध्यक्ष रहे.
- जेशी ने लोकसभा में इलाहाबाद और वाराणसी का किया प्रतिनिधित्व.
- 2014 में उन्हें वाराणसी के बजाए कानपुर से टिकट दिया गया था.
- इसकी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी से चुनाव लड़ना था.