पटना:बिहार में प्रतिबंधित दवाओं के व्यापार में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने बिहार सरकार (Bihar Government) के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. यह जनहित याचिका शशि रंजन की ओर से दायर की गई थी.
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याचिककर्ता के अधिवक्ता प्रकाश श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने अपने शपथ पत्र में व्यवस्था में असफल होने की बात स्वीकार की है. साथ ही ये भी कहा कि राज्य सरकार ने अपने शपथ पत्र में यह लिखा है कि सभी दोषी दवा निर्माताओं के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी. लेकिन, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि शपथ पत्र में केवल मुजफ्फरपुर जिले की चर्चा है. राज्य के अन्य जिलों में हुई कार्रवाई की कोई चर्चा इस शपथ पत्र में नहीं की गई है.
याचिकाकर्ता ने बिहार ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और रूल्स 122 ई का हवाला देते हुए कहा है कि कानून के प्रावधानों के विरुद्ध प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री की जा रही है. याचिका में आरोप लगाया है कि कथित तौर पर पूरे राज्य में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री वर्तमान समय के प्रभारी ड्रग्स कंट्रोलर जो कि ड्रग्स कंट्रोलर के रूप में कार्य कर रहे हैं, उनकी मिलीभगत से की जा रही है.
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इस मामले में सहायक औषधि नियंत्रक मुजफ्फरपुर ने कुल 111 फर्मों के नामों को 12 जून 2021 को अपने पत्र के जरिये अभियोजन चलाने के लिए भेजा था, परंतु ड्रग्स कंट्रोलर ने अभियोजन चलाने के लिए कोई स्वीकृति नहीं दी. प्रकाश श्रीवास्तव ने ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया के पत्रों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि राज्य के ड्रग्स कंट्रोलर की मिलीभगत से पूरे राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री का सिलसिला जारी है. इनके संरक्षण में ही इन सब कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है. प्रतिबंधित चीजों को दवाओं में मिलाकर दवाओं की बिक्री की जा रही है. इस मामले पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को की जाएगी.