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प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली और स्मारकों के मुद्दे पर HC में सुनवाई टली

देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली और उनके स्मारकों की दुर्दशा मामलें पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई टल गयी है. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र और राज्य सरकार को इस सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था. दोनों सरकारों ने आज हलफनामा दायर नहीं किया. इसके फलस्वरूप इस जनहित याचिका पर सुनवाई 13 जनवरी 2022 तक टाल दी गई. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Jan 11, 2022, 1:32 PM IST

पटना: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई (first President Dr. Rajendra Prasad) और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई करते हुए केंद्र (आर्केलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) और बिहार सरकार द्वारा हलफनामा नहीं दायर करने पर पटना हाईकोर्टमें सुनवाई 13 जनवरी 2022 तक टल गयी है. विकास कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) के डिवीजन बेंच ने सुनवाई की. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र और राज्य सरकार को इस सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था लेकिन दोनों सरकारों ने आज हलफनामा दायर नहीं किया. इसके फलस्वरूप इस जनहित याचिका पर सुनवाई 13 जनवरी 2022 तक टाल (Hearing postponed in Patna High Court) दी गई.

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हाईकोर्ट ने इससे पहले अधिवक्ता निर्विकार की अध्यक्षता में वकीलों की तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया था. कोर्ट ने इस समिति को इन स्मारकों की स्थिति का जायजा लेकर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था. इस कमिटी ने जीरादेई में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी मकान की जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में पीछे रह जाने की बात अपनी रिपोर्ट में कही थी. साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गन्दगी और रखरखाव की स्थिति को भी असंतोषजनक पाया था. वहां काफी गंदगी पायी गई. सफाई और रोशनी आदि की कमी थी. साथ ही पटना के सदाकत आश्रम की स्थिति को भी वकीलों की कमिटी ने गम्भीरता से लिया था.

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जनहित याचिका में कोर्ट को बताया गया कि जीरादेई गांव व वहां डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है. याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया कि जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर हैं. वहां पहुंचने के लिए सड़क की स्थिति भी सही नहीं है. साथ ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों स्थिति और भी खराब है. उसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है.

उन्होंने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार के इसी उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण लगातार स्थिति खराब होती जा रही है. कोर्ट को बताया गया कि पटना के सदाकत आश्रम और बांसघाट स्थित उनसे सम्बंधित स्मारकों की स्थिति भी दयनीय है. वहां सफाई, रोशनी और देख-रेख नहीं होने के कारण ये स्मारक और ऐतिहासिक धरोहर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इनके स्मृतियों और स्मारकों को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की चाहिए. इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 13 जनवरी 2022 को होगी.

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