पटना: बुधवार को हाईकोर्ट में शरबाबंदी मसले को लेकर सुनावाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने पूछा है कि सरकार सवा लाख मामलों को कैसे निपटाएगी, इसका जबाव दे.
2016 में लागू हुआ था शराबबंदी
दरअसल, 2015 के विधानसभा चुनावों में मतदाता से किए अपने वादे पर अमल करते हुए नीतीश कुमार ने तीन साल पहले बिहार में शराब पीना और बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था. 2016 में इसे लागू किया गया था. शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक तीन सालों में बिहार में इस कानून के तहत लगभग पोने दो लाख लोग गिरफ्तार किए गए हैं.
बड़े पैमाने पर जजों की जरूरत
जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि इतनी बड़ी संख्या में मुकदमों का निपटारा कैसे होगा. इसपर राज्य सरकार ने कहा कि इन मामलों की सुनवाई के लिए बड़े पैमाने पर जजों और बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है.
अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को
कोर्ट ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में शराबबंदी संबंधी मामलों की सुनवाई युद्ध स्तर पर करने की जरूरत है. कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन जजों की संख्या और अन्य सुविधाओं की काफी कमी है. जिसके चलते राज्य के सभी अदालतों में शराबबंदी मामले की लाखों सुनवाई लंबित पड़ी है. इसके साथ ही कोर्ट ने बताया कि इस मामले पर अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी.