पटना:राज्य में नीतीश सरकार ने पिछले साल कराए गए सोशियो इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर बूढ़ी गंडक के निकटवर्ती जिलों में हर साल होने वाली बीमारी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से बचाव की विशेष पहल की है. पिछले 10 सालों में इस इलाके में विशेष कर 2012, 2014 और 2019 में एईएस के ज्यादा मामले पाए गए हैं मुजफ्फरपुर में अकेले 60 प्रतिशत जबकि 40 प्रतिशत मामले अन्य 16 जिलों में मिले थे. सरकार की विशेष पहल पर किए गए आकलन के आधार पर एईएस से बचाव के लिए एसओपी बनाकर कार्य किए जा रहे हैं.
6 प्रखंडों में कराया गया सर्वे
पिछले साल एईएस प्रभावित मुजफ्फरपुर के पांच प्रखंड, कांटी, बोचहा, मीनापुर, मोतीपुर, मुशहरी में सोशियो इकोनॉमिक सर्वे कराया गया था. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कई अहम कदम उठाए गए, जिसके अनुपालन का दायित्व कई विभागों को दिया गया है. इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आइडीएसपी) के तहत स्वास्थ्य संस्थानों से प्रतिदिन एईएस की रिपोर्टिंग सुनिश्चित की जा रही है. जिलों के साथ दैनिक डाटा साझा कर अर्ली वार्निंग सिग्नल्स जेनेरेट कर उन्हें अलर्ट मोड पर रखा जा रहा है. सभी जिलों, चिकित्सा महाविद्यालयों को एईएस हेल्थ अलर्ट और संबंधित प्रोटोकॉल उपलब्ध कराया गया है.
इटिमोलॉजिकल सर्विलांस टीम गठित
राज्य स्तर पर एईएस की रोकथाम के लिए इटिमोलॉजिकल सर्विलांस टीमग गठित की गई है. इस टीम की तरफ से मुजफ्फपुर, सीतामढ़ी और पूर्वी चंपारण में कीटों और लार्वा का संग्रहण, वेक्टर डेंसिटी सर्वे, टैक्सनॉमिकल आईडेंटिफिकेशन, वेक्टर में पैरासिटिक लोड के काम शुरू किए गए हैं. दूसरी ओर इस बीमारी के प्रचार-प्रसार, लक्षण और इससे बचाव के लिए करीब 36 लाख लीफलेट और 900 बैनर सभी प्रभावित जिलों को भेजे गए हैं. इसके अलावा एईएस से बचाव और जागरूकता फैलाने के लिए दो ऑडियो स्पॉट आठ मई से छह जून तक रेडियो पर प्रसारित किए गए. साथ ही सोशल मीडिया से भी प्रचार-प्रसार हो रहा है.
दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक एईएस एसओपी में 60 प्रकार की दवाओं में से मुजफ्फरपुर, जहानाबाद, औरंगाबाद, गोपालगंज, गया, सीवान में 55 प्रकार (92 प्रतिशत) की दवाएं उपलब्ध हैं. शेष जिलों में 80 प्रतिशत दवाएं उपलब्ध हैं. एईएस एसओपी में 11 प्रकार की सर्जिकल उपकरण चिन्हित हैं. वहीं, जिलों में 75 फीसद सर्जिकल उपकरण उपलब्ध हैं. विभाग का दावा है कि एईएस प्रभावित जिलों के 366 स्वास्थ्य संस्थानों में 11 सर्जिकल सामग्रियों के 747 किट्स अलग से दिए जा रहे हैं.