पटनाःआजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के उपलक्ष्य पर इस बार पूरा देश 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, ऐसे में आज उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को महापुरुषों को याद करने का दिन है. ऐसे में बिहार की राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र सिंह ने ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष की अपनी यादों को ईटीवी भारत के साथ साझा किया है.
ये भी पढ़ेंः पटना के बिहटा में स्कूली बच्चों ने निकाली 75 मीटर लंबा पैदल तिरंगा यात्रा
कुछ अनसुनी यादें:स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र सिंह का संघर्ष इतिहास के पन्नों में दर्ज है. वह महज 15 साल की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े थे. रामचंद्र सिंह का जीवन भारत छोड़ो आंदोलन ने बदल कर रख दिया. भारत छोड़ो आंदोलन साल 1942 को शुरू हुआ जब वह रामचंद्र जी की उम्र महज 15 साल की थी इतनी छोटी उम्र में ही स्वतंत्र आंदोलन में कूद पड़े थे. रामचंद्र सिंह ने बताया कि अपने युवा दोस्तों के साथ योजना बनाते थे आजादी के संघर्ष के दौरान गुप्त सूचनाएं आंदोलनकारियों को देते थे. अंग्रेजों की सूचनाएं स्वतंत्रता सेनानियों तक पहुंचाने के अलावा संदेशों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में उनकी पूरी युवा टीम अहम रोल निभाती थी. रामचंद्र सिंह ने बताया कि उस समय हमलोगों के 15 युवाओं की टीम हुआ करती थी जो मीटिंग के दौरान अंग्रेजों की हर एक योजनाओं को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम मैसेंजर के रूप में करते थे. वह तीन बार जेल भी जा चुके हैं. जेल के अंदर भी भारत छोड़ो के नारे लगाए थे.