पटना :बिहार की राजनीति में इन दिनों सत्ताधारी जेडीयू के अंदर बड़ी गुटबाजी चल रही है. इस रस्साकशी में आरसीपी सिंह की परेशानी बढ़ती जा रही है. पार्टी के नालंदा जिले के कार्यकर्ताओं (JDU Workers Complaint Against RCP Singh) ने उन पर संपत्ति को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. कार्यकर्ताओं के आवेदन के आधार पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने 4 अगस्त को आरसीपी सिंह ( JDU state president Umesh Kushwaha) को पत्र भेजकर इसका जवाब मांगा है. यह खबर बाहर आने के बाद पार्टी के अंदर हड़कंप मच गया है. इसको लेकर आरसीपी सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ी है.
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आरसीपी सिंह ने क्या कहा :मीडिया रिपोर्टस की मानें तो आरसीपी सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा है कि अधिकांश भूखंड उनकी बेटियों या पत्नी के नाम पर हैं, जो आयकर जमा करती हैं. विभाग में उन्होंने खरीद-बिक्री की जानकारी दे रखी थी. इसके अलावा उनके खाते या उनके नाम से कोई भूखंड की खरीद-बिक्री नहीं हुई. ऐसे में ये आरोप लगाना कहां से उचित हैं कि लालू स्टाइल में उन्होंने जमीन अर्जित की. उन्होंने पार्टी के नेताओं से पूछा कि वो बताएं कि आखिर किसी भूखंड के बदले उन्होंने किसी को उपकृत किया हो. ये सब आरोप बेबुनियाद हैं और जिसने भी जांच की उसे उनसे भी पूछताछ कर लेनी चाहिए थी.
क्या है आरसीपी सिंह संपत्ति विवाद :बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरसीपी सिंह को एक पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि नालंदा जिले के दो जेडीयू नेताओं ने सबूतों के साथ उनके खिलाफ शिकायत की है. शिकायत में कहा गया कि आरसीपी सिंह ने उनके और उनके परिवार के नाम पर साल 2013 से 2022 के बीच अकूत अचल संपत्ति अर्जित की. इसमें कई तरह की गड़बड़ियां हैं. इस मामले में जेडीयू ने आरसीपी सिंह को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. प्रदेशाध्यक्ष उमेश सिंह ने कहा कि वे जल्द से जल्द उनके और उनके परिवार से जुड़ी संपत्ति के मामले में अपनी राय स्पष्ट करें और पार्टी आलाकमान को इस बारे अवगत कराएं.
फिलहाल, नीतीश और आरसीपी सिंह के बीच पिछले कुछ महीनों से खटास की खबरें आ रही थी. लेकिन इस चिट्ठी के सार्वजनिक होने के बाद ये साफ हो गया है कि आरसीपी सिंह को पार्टी से बाहर किए जाने की पार्टी ने पूरी तैयारी कर ली है. बिहार की राजनीति में कभी नीतीश और आरसीपी सिंह के बीच गहरी दोस्ती मानी जाती थी लेकिन समय के साथ रिश्ते बदलते चले गए.