पटना: बिहार में नीतीश कुमार पिछले 15 साल से भी अधिक समय से सरकार चला रहे हैं. उन पर लंबे समय से यह आरोप लगता रहा है कि वे अधिकारियों के भरोसे ही सरकार चलाते हैं (Bureaucracy dominates in Bihar). मंत्रियों की या फिर विधायकों की नहीं सुनते हैं. मंत्री शिकायत भी करते हैं तो नीतीश कुमार अपने अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं करते. ताजा मामला पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का है.
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पहले भी मंत्रियों ने जतायी थी नाराजगीः आरजेडी कोटे से कृषि मंत्री बनाए गए सुधाकर सिंह शुरू से अपने अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. वे प्रधान सचिव को हटाने पर अड़े थे, लेकिन नीतीश कुमार नहीं माने. यहां तक कि प्रधान सचिव को सबसे बेहतर अधिकारी तक कह दिया था. अंत में सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा (Former minister Sudhakar Singh controversy). इससे पहले भी अधिकारियों को लेकर कई मंत्रियों ने नाराजगी जाहिर की है. एनडीए सरकार में जदयू कोटे के मंत्री मदन साहनी ने भी अधिकारियों को लेकर नाराजगी जताते हुए इस्तीफा देने तक की बात कह दी थी. हालांकि मामले को सलटा लिया गया. लेकिन इस मामले में भी किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. उस समय के नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि बिहार में अफसरशाही हावी है. मंत्री से लेकर जनता परेशान है.
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बीजेपी के मंत्रियों ने लगाया था आरोपः जदयू के मंत्री महेश्वर हजारी का विवाद मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार से हो गया था. महेश्वर हजारी भवन निर्माण विभाग के मंत्री थे. उनका विभाग बदल दिया गया. उससे पहले भीम सिंह का मंत्रालय भी अधिकारियों से पंगा लेने के कारण बदला गया था. ऐसे कई उदाहरण है और पिछले एनडीए सरकार में तो बीजेपी के कई मंत्रियों ने अफसरशाही का आरोप लगाया था. रामसूरत राय, जनक राम, जीवेश मिश्रा और बीआईपी के मंत्री मुकेश सहनी इसके कुछ उदाहरण हैं. एनडीए सरकार के रहते बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी कई बार अधिकारियों की मनमानी को लेकर नीतीश कुमार पर आरोप लगाए थे (Bureaucracy dominates in Bihar).
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अफसरों के साथ सांठगांठः बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है नीतीश कुमार जब से सत्ता में आए हैं, उन पर अफसरशाही का आरोप लगता रहा है. सच्चाई है कि मुख्यमंत्री अफसरों के चंगुल से बाहर नहीं निकल पाते हैं. उसके कारण मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करते रहे हैं और उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं करते हैं जरूरत पड़ने पर मंत्रियों को ही इधर से उधर करते रहे हैं. पहले भीम सिंह के साथ भी हुआ अब सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा है. तो अफसरों के साथ क्या सांठगांठ है यह तो नीतीश कुमार ही बता सकते हैं. लेकिन अफसरशाही के कारण राज्य का कितना भला होना चाहिए नहीं हो सका.