पटना:बिहार सरकार के पूर्व मंत्री भीम सिंह (Former Minister Bhim Singh) ने बिहार सरकार पर जमकर निशना साधा (Bhim Singh Target CM Nitish Kumar) है. उन्होंने बिहार नगर निराय चुनाव को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो अति पिछड़ा वर्ग के हिमायती नहीं हैं. ईबीसी को मदद करने के बजाए बयानबाजी में व्यस्त हैं.ये जो धरना का कार्यक्रम था जो जदयू के लोगो ने किया है. वो उल्टबासी का उदहारण है. अनाप-शनाप बोलना है, जिस प्रधानमंत्री का नाम लेकर वोट लिए, कल ललन सिंह उनको ही उल्टा-सीधा बोले हैं. अगर हिम्मत हो तो वो फिर से लोकसभा का चुनाव लड़ें, पता चल जाएगा कि जनता क्या सोचती है?. पीएम नरेंद्र मोदी पर अमर्यादित बयान देने वाले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को इस्तीफा देना चाहिए.
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'लगातार जब सुप्रीम कोर्ट निर्देश दे रही थी और सरकार उस पर ध्यान नहीं दी. ताकि वो सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जाएं और चुनाव टल जाये. ये लोग आरक्षण विरोधी हैं.
भाजपा जानना चाहती है, खास करके पिछड़ा वर्ग जानना चाहती है कि ऐसा क्यूं किया गया. जून 2022 में नगर निकाय का कार्यकाल खत्म होना था तो जनवरी, फरवरी तक ही चुनाव हो जाना चाहिए था. लेकिन अगर चुनाव होता भी तो अक्टूबर में. तो इतना विलंब क्यूं हुआ. और अब तो चुनाव भी टल गया. ईबीसी का आरक्षण भी गया. सरकार अपनी मंशा में सफल हुई.'- भीम सिंह, पूर्व मंत्री
पूर्व मंत्री भीम सिंह ने CM नीतीश पर साधा निशाना :पूर्व मंत्री भीम सिंह ने कहा कि जिस समय में हम लोग सरकार में थे और नगर विकास विभाग हम लोग के पास था, उस समय में भी कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जल्द से जल्द चुनाव कराने की बात बीजेपी के नेताओं द्वारा कही गई. लेकिन उन्होंने उस बात को दरकिनार कर दिया. यही कारण रहा कि भाजपा जब सरकार के साथ थी, उस समय नगर निकाय का चुनाव सीएम नीतीश कुमार नहीं करवा सकें. उन्होंने कहा कि पहले से ही मुख्यमंत्री का मनसा ऐसा था कि अति पिछड़ा समाज को किसी भी हालत में आरक्षण नहीं दिया जाए.
'सीएम पिछड़ा वर्ग के नहीं है हितैषी' :यहीसोच लेकर वो लगातार निकाय चुनाव को विलंब करते रहे. आगे कहा कि जनता सब कुछ देख रही है. अति पिछड़ा का विरोधी कौन है?. कौन क्या कुछ कर रहा है और कौन किस तरह का बयान दे रहा है. समय आने पर जनता ऐसे नेताओं और ऐसी पार्टी को सबक सिखाने का काम करेगी. दरअसल बिहार नगर निकाय चुनाव 2022, 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होना था. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से स्थगित हो गया.
बिहार नगर निकाय चुनाव स्थगित :हाईकोर्ट ने अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर चुनाव पर रोक लगा दी. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बिहार सरकार ने आयोग का गठन नहीं किया. जिसके आधार पर तीन टेस्ट करना था और उसके बाद अति पिछड़ा को आरक्षण देना था. हाईकोर्ट ने 20% अति पिछड़ा वर्ग आरक्षण को समाप्त कर चुनाव कराने का निर्वाचन आयोग को सलाह भी दिया. इसके बाद बीजेपी नीतीश कुमार पर हमलावर है.
तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला :बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.