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जगन्नाथ मिश्र ने 1982 में पेश किया था बिहार प्रेस विधेयक, लगातार विरोध के बाद लिया वापस

सीएम रहते हुए जगन्नाथ मिश्रा ने प्रेस पाबंदी बिल 1982 में पेश किया था. बिहार प्रेस विधेयक के नाम से पेश इस बिल को भारी विरोध के बाद वापस ले लिया गया था. इसमें जुर्माने के साथ-साथ 5 साल तक सजा का प्रावधान था.

पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र

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Published : Aug 20, 2019, 8:38 PM IST

पटना: सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र का लंबी बिमारी के बाद दिल्ली के मेदांता में निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को मंगलवार को पटना लाया गया. जहां उनके समर्थकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. तीन बार बिहार के सीएम रहे डॉ मिश्रा का राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. जगन्नाथ मिश्रा का नाम बहुचर्चित चारा घोटाले में आया था. इसके अलावा प्रेस पर पाबंदी का बिल भी बिहार में उन्होंने ही लाया था. हालांकि बाद में उन्हें इस फैसले पर काफी पश्चाताप हुआ था.

1982 में पेश किया था प्रेस पाबंदी बिल
सीएम रहते हुए जगन्नाथ मिश्रा ने प्रेस पाबंदी बिल 1982 में पेश किया था. हालांकि बाद में उन्हें काफी खेद भी हुआ था. बिहार प्रेस विधेयक के नाम से पेश इस बिल को भारी विरोध के बाद वापस ले लिया गया था. राज्य सरकार के खिलाफ संवेदनशील लेखों को छपने से रोकने को लेकर यह बिल पेश किया गया था. इसमें जुर्माने के साथ-साथ 5 साल तक सजा का प्रावधान था. इस विधेयक के बाद पुलिस ऐसी कोई भी शिकायत मिलने पर पत्रकारों को गिरफ्तार कर सकती थी.

इंदिरा गांधी को खुश करने के लिए पेश किया था बिल
बाद में जगन्नाथ मिश्रा ने कहा था कि इस बिल को लेकर उन्हें पश्चाताप है. कहा जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी को खुश करने के लिए ये बिल लाया था. वह एक बार दिल्ली दौरे पर गए थे. इस दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी को परेशान देखा. उस वक्त इंदिरा की मेनका गांधी के साथ मतभेदों की चर्चाएं जोरों पर थीं. मिश्रा ने इस बिल को लेकर इंदिरा से बातचीत की थी. फिर इस संबंध में सूचना एवं प्रसारण मंत्री वसंत साठे ने उन्हें विस्तार से जानकारी दी थी.

लगातार विरोध के बाद लिया गया बिल को वापस
31 जुलाई 1982 को बिहार प्रेस बिल लाया गया. हालांकि इस बिल को लाने का दूसरा कारण यह था कि उस समय अखबारों में भ्रष्टाचार को लेकर उनके खिलाफ काफी लिखा जा रहा था. जिसे लेकर वह काफी परेशान थे. इन सबसे तंग आकर उन्होंने बिहार प्रेस विधेयक पेश किया था. हालांकि लगातार विरोध के बाद इस बिल को वापस ले लिया गया था.

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