पटना:मसौढ़ी के रहने वाले सीताराम सिंह खेतों में जैविक खाद का उपयोग (Use of Organic Fertilizers in Fields in Patna) करने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. गांव-गांव जाकर वो किसानों को खेतों में जैविक खाद डालने के फायदे बता रहे हैं. वो केवल जागरूक ही नहीं कर रहे, बल्कि जैविक खाद बनाने के लिए किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.
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दरअसल,खेतों में लगातार हो रहे रासायनिक खाद के प्रयोग से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है, बल्कि खाद से उपज होने वाले फसल भी हानिकारक हो रहे हैं. ऐसे में अब गांव-गांव में जैविक खाद के प्रति किसानों को जागरूक किय जा रहा है.
सीताराम सिंह अपने खेतों में तकरीबन 500 क्विंटल जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. इसे बनाने के लिए कई महिला किसान भी प्रशिक्षण ले रही हैं. तकरीबन, 2 दर्जन से अधिक गांव में अब तक जाकर जैविक खाद के प्रति लोगों को वो जागरूक कर चुके हैं. लगातार सरकार भी रासायनिक खाद के बदले जैविक खाद के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए जागरुकता कार्यक्रम चला रही है. जैविक खाद में प्रयोग में आने वाले गाय का गोबर, मूत्र, मछली एवं कुक्कुट का मल मूत्र, केचुआ सब को मिलाकर एक बड़े से गड्ढे में डालकर उसमें पानी डालकर केवल 6 महीने तक उन्हें दबाकर तैयार किया जाता है. उसके बाद तैयार खाद को खेतों में डाला जाता है, जिससे पैदावार अच्छी होती है.