पटना:बिहार में भाजपा और जदयू के बीच पुराना गठबंधन है. लगभग 27 साल से दोनों दल साथ हैं. 2020 के चुनाव में चिराग पासवान की वजह से जदयू 43 सीटों पर सिमट गई और पार्टी अपने आधार को मजबूत करने के लिए नए सिरे से काम कर रही है. पहली बार बिहार की धरती पर भारतीय जनता पार्टी ने संयुक्त मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का आयोजन किया और देश भर से बीजेपी नेताओं का जमावड़ा लगा. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया. प्रोग्राम में भाजपा ने अपनी ओर से स्पष्ट कर दिया कि 2024 और 2025 का चुनाव हम जदयू के साथ लड़ेंगे. इसमें कोई संशय की स्थिति नहीं है. नेताओं को भी गठबंधन पर बयान देने से मना कर दिया गया.
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BJP और JDU में है पुराना गठबंधन :अमित शाह के दौरे के 2 दिन बाद से ही जदयू नेताओं के सुर बदल गए. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि 2024 और 2025 का चुनाव भविष्य के गर्भ में (Everything Is Not Right In JDU And BJP) है. फिलहाल हम संगठन की मजबूती के लिए काम कर रहे हैं. भविष्य में क्या होगा यह बाद में तय किया जाएगा. जदयू ने भाजपा को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में बिना शर्त समर्थन दिया और अब पार्टी को उम्मीद है कि भाजपा से जदयू गठबंधन में अपनी भूमिका नए सिरे से तय करना चाहती है. जिसे लेकर पार्टी नेताओं के मन में कुछ एजेंडा चल रहा है.
JDU और BJP में सब कुछ नहीं है सही :जनता दल यूनाइटेड, भाजपा के साथ 2010 के फार्मूले पर विधानसभा चुनाव में समझौता चाहती है. 2010 में जदयू 142 सीटों पर लड़ी थी और भाजपा 101 सीटों पर लड़ी थी. केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होना है और जदयू समानुपातिक प्रतिनिधित्व का मांग लंबे समय से करती आ रही है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू की अपेक्षा है कि जदयू के खाते में दो कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री आए. जदयू को यही उम्मीद है भी कि चिराग पासवान और आरसीपी सिंह से भाजपा बराबर की दूरी बनाकर रखें लेकिन चिराग पासवान को लेकर भाजपा सॉफ्ट है और गठबंधन से बाहर करना नहीं चाहती है. जदयू का प्लान यह भी है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होता है तो लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर अगर लड़ा जाए तो विधानसभा चुनाव बिहार में नीतीश कुमार के नाम पर लड़ा जाए.