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'जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना, कोरोना धरा पर कहीं बच न जाए' - corona Dharan par bach na paye

'जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए' कभी गोपाल दास नीरज की इन पंक्तियों में दीपावली का गुढ़ रहस्य छिपा हुआ है. पढ़ें पूरी खबर...

'जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना, कोरोना धरा पर कहीं बच न जाए'
'जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना, कोरोना धरा पर कहीं बच न जाए'

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Published : Nov 4, 2021, 5:10 PM IST

पटना: 'जलाओ दीए पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए' गोपाल दास नीरज (Gopal Das Niraj) ने इन पंक्तियों को उन भावनाओं के साथ उद्धृत किया था. जिसमें दीपावली (Dip के दिन दीपक जलाने की परंपरा पूरे देश में तो है लेकिन जिस तरह से देश को जगमगना है उसमें भय, भूख और भ्रष्टाचार को कोई जगह नहीं मिले उसे भी धरती से हटा देना है और इसी का संकल्प दीपों के इस त्योहार की मूल मान्यता में है.

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आज पूरा विश्व कोरोना के भय से आक्रांत है. लोगों को डर है कि कब कौन इसके चपेट में आ जाए. पूरे देश में तेजी से टीकाकरण का कार्य चल रहा है. वैक्सीनेशन 100 करोड़ से भी ज्यादा हो भी गए हैं. आज कोरोना को हराने के लिए हम सभी उससे लड़ रहे हैं. मानव जीवन के लिए इस सदी की सबसे बड़ी त्रासदी लेकर कोरोना आया है. इसे खत्म करने के लिए सभी लोगों ने मन में प्रण ले रखा है. दीपावली के दिन एक दिया इस भरोसे का जलाना है कि कोरोना को खत्म करके ही भारत दम लेगा.

गोपाल दास नीरज ने जब इन पंक्तियों को लिखा था उनके जेहन में यह बात नहीं थी कि जिस से लड़ना है साफ-साफ दिख रहा है. भूख से लड़ने के लिए लड़ाई बड़ी करनी होगी तो उसके लिए मेहनत का दीपक जलाना होगा भ्रष्टाचार का अंधेरा अगर आम लोगों के जीवन पर हावी हो रहा है तो उसे मिटाने के लिए हर व्यवस्था को मजबूत करने के लिए दीपक जलाना होगा. लेकिन इस बार जिस दुश्मन से लड़ाई हो रही और उसे मिटाने के लिए जिस उजाले के दीपक को जलाना है उसमें सभी लोगों को एक संकल्प लेना होगा.

आज समाज की प्रासंगिकता और समाज के सिद्धांतों को रखते समय चाहे जैसा हो लेकिन जिंदगी की जरूरत के आधार के रूप में आज वही सबसे ज्यादा जरूरी है. जीवन सुकून से तभी मानवीय मूल्य के साथ रहेगा जब कोरोना पूरी तरह से धरती ते गायब हो जाएगा. इस दिवाली कोरोना को खत्म करने के लिए जिस दीपक को जलाना है. वह पूरे विश्व में इतना उजाला करें कि कोरोना का नाश हो जाए. जिस तरीके से लोगों के जीवन में कोरोना ने अंधेरा लाया था डर पैदा किया था, उसे खत्म करने के लिए संगठित होकर उजाला तो करना है और उस उजाले में संकल्प भी लेना है.

जब तक कोरोना को पूरे तौर पर खत्म नहीं करेंगे तब तक इस दीपक के उजाले की शपथ लेकर इस उद्देश्य के साथ चलना है कोरोना को फिर से नहीं आने देंगे. दीए को जलाकर भारत के उसी एकता और अखंडता का संकल्प लेना है. जो देश को संप्रभु राष्ट्र बनाने में अनेकता में एकता की हमेशा मिशाल पेश की है. साथ रहकर देश को मजबूत किया है. इस हौसले ने ही कोरोना को रोका है और इसी विश्वास से कोरोना खत्म होगा.

देश जब दीपक जलएगा तो आप उसके हिस्सेदार बनें हिस्सेदारी निभानी भी है और कोरोना को भगाने के लिए देश में उजाले का संकल्प लेना है. कोरोना वायरस लोगों के बीच मृत्यु की तृष्णा लिए घूम रही है, उसे खत्म करना है और ये तभी संभव होगा जब यह देश संकल्प लेकर कोरोना को भगाने का काम करेगा. सभी को एकजुट होना है देश के लिए, मानवीय मूल्य के लिए, जीवन को संकल्प के लिए तभी इस धरती से भय, भूख और भ्रष्टाचार के राक्षस को मिटाया जा सकता है. आप सभी को ईटीवी भारत बिहार की तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनांए.

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