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नैनीताल में 9 बिहारी मजदूरों की मौत, ग्राउंड जीरो पर पहुंचा ईटीवी भारत - Nainital labors expressed pain

तीन दिन तक हुई भारी बारिश के कारण नैनीताल के रामगढ़ में 2013 में आई केदारनाथ आपदा जैसे हालात हैं. हादसे के दौरान नैनीताल में 9 बिहारी मजदूरों की मौत हो गई. ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर आपदा और उससे प्रभावित लोगों से हालात का जायजा लिया. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Oct 21, 2021, 11:14 PM IST

नैनीताल:उत्तराखंड में तीन दिन तक बरसी आसमानी आफत ने नैनीताल जिले में जमकर तबाही मचायी है. वहीं, आपदा की मार झेल रहे ग्रामीणों का दर्द जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम घंटों का पैदल सफर तय कर रामगढ़ के शकुना झुतिया गांव पहुंची. जहां 2013 में आई केदारनाथ आपदा जैसे हालात हैं. नैनीताल के रामगढ़ क्षेत्र में आई आपदा से जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो चला है. रामगढ़ के शकुना झुतिया गांव में सड़कें टूट चुकी हैं. घर क्षतिग्रस्त हैं. लोग बेसहारा हो गए हैं. 18 अक्टूबर की रात आसमान से आए जलजले ने पूरे गांव को तहस-नहस कर दिया. गांव को जोड़ने वाली सभी सड़कें पूरी तरह से टूट चुकी हैं. इसके चलते गांवों का संपर्क शहरों से कट गया है.

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2013 आपदा जैसे हालात: वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में अब स्थानीय लोगों के सामने खाने-पीने का संकट खड़ा होने लगा है. क्षेत्र में 2013 में आई केदारनाथ आपदा जैसे हालात बने हुए हैं. लोगों ने अपना दर्द ईटीवी भारत से साझा करते हुए बताया कि 18 अक्टूबर की रात से क्षेत्र में भयानक बारिश हो रही थी.

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नदियों का पानी घरों और दुकानों में घुसा: 19 अक्टूबर को रात 2 से 3 बजे के बीच जब सब लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तभी पहाड़ों से निकलने वाली नदियों का पानी घरों और दुकानों में घुस गया. जिससे घर-दुकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए. सारा सामान पानी के सैलाब में बह गया.

आपदा में 35 लोगों की मौत: पहाड़ों में आई इस आपदा से रामगढ़, ओखलकांडा ब्लॉक में करीब 35 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 8 लोग अभी भी लापता हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ पुलिस समेत सामाजिक संगठनों ने गांव में पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया है. लोगों की मदद की जा रही है.

अमित शाह और धामी ने किया हवाई सर्वेक्षण: क्षेत्र में आई इस आफत के बाद गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने स्थलीय और हवाई निरीक्षण कर आपदाग्रस्त क्षेत्रों के हालात जाने.

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19 अक्टूबर की रात को रामगढ़ क्षेत्र में आई इस आफत के बाद बिहारी मूल के सभी मजदूर डर के साए में जीने को मजबूर हैं. मजदूरों ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा किया और कहा कि रामगढ़ के झुतिया गांव में भूस्खलन के दौरान जिन 9 मजदूरों की मौत हुई, वो सब उन्हीं के साथ ही थे.

5 शवों को निकाला गया:18 अक्टूबर रामगढ़ के झुतिया गांव में हुए भूस्खलन के मलबे में दबने से 9 मजदूरों की मौत हो गई थी. जिसमें से 5 मजदूरों का शव एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू कर बाहर निकाला. एसडीएम ने बताया हादसे में घायल आज एक मजदूर को एयर लिफ्ट करने का प्रयास किया गया, लेकिन हेलीकॉप्टर लैंड नहीं कर सका. शुक्रवार को घायल को एयर लिफ्ट कर हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल में उपचार के लिए भेजा जाएगा.

पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा जाएगा शव: मलबे में दबे अन्य चार शवों को निकालने के लिए कल भी रेस्क्यू जारी रहेगा. मृतकों के परिजन देर शाम बिहार से रामगढ़ पहुंच जाएंगे. स्वास्थ्य विभाग की टीम भी मौके के लिए भेजी जा रही है. सभी शवों के बरामद होने के बाद एक साथ शवों का पोस्टमार्टम कराया जाएगा, जिसके बाद शव परिजनों को सौंप दिए जाएंगे.

टूटे पेड़ ने बचाई 10 मजदूरों की जान:घटना वाले दिन 10 मजदूरों का दल रामगढ़ के दूसरे क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य कर रहा था. जैसे ही देर शाम घटना वाले स्थल के लिए रवाना हो रहे थे, तभी अचानक एक पेड़ रास्ते में गिर गया. जिसकी वजह से सभी लोग एक धर्मशाला में रुक गए. जिस वजह से उनकी जान बच गई. अगर पेड़ नहीं गिरता तो सभी 10 सदस्य उसी घर में रहने जा रहे थे और उनकी भी हादसे में मौत हो सकती थी.

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मजदूरों ने देखा मौत का मंजर:मौत का मंजर देख चुके पश्चिमी चंपारण बिहार के मजदूर देवेंद्र यादव और उनके साथी बेहद डरे हुए हैं. देवेंद्र ने बताया कि उन्होंने इससे पहले ऐसी घटना अपने जीवन में नहीं देखी. जो साथी कल तक उनके साथ काम कर रहे थे, आज वह इस दुनिया में नहीं हैं. जिसके कारण अब सभी रामगढ़ छोड़कर वापस अपने घर बिहार जा रहे हैं.

रामगढ़ क्षेत्रवासियों के सामने संकट:रामगढ़ क्षेत्र का हल्द्वानी, नैनीताल से संपर्क कटने के बाद क्षेत्रवासियों के सामने 2 जून की रोटी का संकट खड़ा हो गया है. स्थानीयों का कहना है अब तक उनके घरों में राशन उपलब्ध था, लेकिन 3 दिन बीत जाने के बाद गांव के अधिकांश लोगों के पास राशन खत्म होने लगा है. दुकानें पहले से ही टूटी हुई हैं. ऐसे में दुकानों में सामान नहीं है. अगर जल्द गांव को सड़क मार्ग से नहीं जोड़ा गया तो भुखमरी के हालात उत्पन्न हो सकते हैं.

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